पश्चिमी चंपारण:विधानसभा सत्र के दौरान सदन में चनपटिया विधायक उमाकान्त सिंह ने तारांकित प्रश्न के माध्यम से 1993 से बंद चनपटिया चीनी मिल को चालू कराने के लिए गन्ना मंत्री प्रमोद कुमार से सवाल किया. उन्होंने बताया कि चीनी मिल बंद होने के कारण क्षेत्र के किसानों को दूर-दराज के चीनी मिलों में गन्ने को औने-पौने दामों पर बेचना पड़ता है, जिस कारण किसान शोषण का शिकार हो रहे हैं.
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चीनी मिल को चालू कराने की कवायद
इसके जवाब में गन्ना मंत्री प्रमोद कुमार ने बताया कि उक्त चीनी मिल भारत सरकार के कपड़ा मंत्रालय का एक उपक्रम है. जो ब्रिटिश इंडिया कॉर्पोरेशन (बीआईसी) ग्रुप की एक इकाई है. ये चीनी मिल 1994 से बंद है. इस चीनी मिल को चालू कराने के लिए गन्ना उद्योग विभाग द्वारा पत्र लिखकर भारत सरकार से अनुरोध किया गया है.
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1932 में स्थापित हुई थी चीनी मिल
चनपटिया चीनी मिल की स्थापना 1932 में हुई थी. ये बिहार की सबसे पुरानी चीनी मिलों में शामिल थी. 1990 से इस चीनी मिल की दुर्गति शुरू हुई और 1994 के आते-आते इसमें पूरी तरह ताला लग गया. 1998 में एक बार फिर को-ऑपरेटिव के माध्यम से इस चीनी मिल को चालू किया, लेकिन ये प्रयोग सफल नहीं हो सका. 1998 में फिर से एक बार ये चीनी मिल हमेशा के लिए बंद हो गई.