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बिहार : प्लेटफार्म नंबर 2 पर JDU सांसद वैद्यनाथ महतो की कार, क्यों?

सत्ता का रुआब वाल्मीकिनगर के जदयू सांसद वैद्यनाथ प्रसाद महतो के सिर चढ़कर बोला रहा है. उन्होंने रेलवे पदाधिकारियों के सामने ही रेलवे ट्रैक से अपनी लग्जरी गाड़ी पार करा दी.

प्लेटफॉर्म पर कार.

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Published : Aug 30, 2019, 9:21 AM IST

बेतिया: क्या देश में नेताओं के लिए अलग कानून है. सवाल इसलिए क्योंकि बेतिया के नरकटियागंज स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर 2 पर JDU सांसद की कार दिखाई पड़ी. आखिर प्लेटफॉर्म पर कार कैसे पहुंच गयी. हद तो यह है कि सांसद ने यह कारनामा रेलवे पदाधिकारियों के सामने किया और कानून को ठेंगा दिखाकर चलते बने.

सत्ता का रुआब वाल्मीकिनगर के जदयू सांसद वैद्यनाथ प्रसाद महतो के सिर चढ़कर बोला रहा है. उन्होंने रेलवे पदाधिकारियों के सामने ही रेलवे ट्रैक से अपनी लग्जरी गाड़ी पार करा दी. यूं तो हर रोज रेलवे ऐसे कई नियमों का हवाला देते हुए विज्ञापनों में करोड़ों रुपये व्यय करता है, जिसमें ट्रैक से गाड़ी पार कराना कानूनन अपराध होता है. मगर ये तो माननीय सांसद जी ठहरे. इनके लिए ये कानून कुछ मायने नहीं रखता.

देखिए वीडियो.

एक नहीं तीन ट्रैक पार कर चलते बने सांसद
नरकटियागंज स्टेशन पहुंचे सांसद वैद्यनाथ ने एक नहीं बल्कि तीन-तीन रेलवे ट्रैक को गाड़ी में बैठे-बैठे ही पार कराया. इसे सत्ता का हनक नहीं, बल्कि सत्ता की ठसक कहें तो ज्यादा बेहतर होगा. जहां एक ओर रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर किसी भी वाहन को बिना पंजीकरण के ले जाना और पैदल ट्रैक पार करना भी गैर कानूनी है. वहां सांसद ने सारे कानून और नियमों को ताक पर रख दिया.

ट्रैक पार करता कार.

रोक दी गई मालगाड़ी
केंद्र में और राज्य में एनडीए की सरकार ने सांसद महोदय के कभी धरती पर पैर न रखने के अरमान को पूरा कर दिया. अब ऐसे में सांसद जी के लिए उनकी जान की सुरक्षा के बारे में सोचना रेलवे का दायित्व बन जाता है. तो उनके लिए मालगाड़ी को कुछ देर के लिए रोक दिया गया.

इसे बेबसी ही कहेंगे
स्टेशन अधीक्षक लाल बाबू राउत ने सांसद का प्लेटफॉर्म पर गाड़ी लेकर आना और गाड़ी से ट्रैक पार करने को गैर कानूनी तो बताया. लेकिन अपनी बेबसी भी जाहिर की. दरअसल, वाल्मीकिनगर सांसद वैद्यनाथ प्रसाद महतो समस्तीपुर मंडल के रेल अधिकारियों से यात्री समस्या को लेकर वार्ता करने पहुंचे थे. उन्होने रेलवे पदाधिकारी को 15 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन सौंपा. इसके बाद उसी पदाधिकारी के सामने ही रेलवे कानून की धज्जियां उड़ा कर चलते बने.

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