सुपौल:मॉनसून शुरू होते ही जिले के कोसी प्रभावित क्षेत्र में बसे लाखों लोगों की मुश्किलें बढ़ने लगी है. बीते दो दिनों से भारत और नेपाल स्थित कोसी के जल अधिग्रहण क्षेत्र में हो रही बारिश के कारण कोसी का जलस्तर बढ़ने लगा है. जिसके कारण तटबंध के अंदर बसे लोगों की परेशानी भी बढ़ने लगी है.
जलस्तर में बढ़ोतरी के बाद बांध के अंदर कई गांवों में बाढ़ का पानी फैलने लगा है जिससे फसलें डूबने लगी है. वहीं नदी किनारे बसे गांवों के घरों में भी पानी घुसने लगा है. लोगों में दहशत का माहौल व्याप्त है. विस्थापन की समस्या भी शुरू हो गयी है. पानी बढ़ने के बाद कोसी पीड़ितों के सामने सुरक्षित ठिकाने की तलाश, पशुओं के लिये चारा, शुद्ध पेयजल, दवा आदि की चिंता बढ़ गयी है.
डिस्चार्ज में हो रही बढ़ोतरी
भारी बारिश के कारण कोसी के जलस्राव में लगातार वृद्धि हो रही है. शुक्रवार की सुबह से ही निरंतर कोसी बराज एवं नेपाल के बराह क्षेत्र में नदी का डिस्चार्ज किया जा रहा है. अपराह्न 12 बजे बराज से कुल 1 लाख 91 हजार 45 और बराह क्षेत्र से 01 लाख 57 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया. कोसी के जल अधिग्रहण क्षेत्र में दो दिनों से लगातार हो रही बारिश के कारण नदी के जलस्तर में और भी बढ़ोतरी होने की संभावना जतायी जा रही है.
कोशी बराज से छोड़ा गया 1.91 लाख क्यूसेक पानी लाखों की आबादी बाढ़ की चपेट में
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 131 गांवों में बसी कुल 03 लाख 09 हजार 222 लोगों की आबादी बाढ़ की चपेट में है. जिन्हें हर साल बाढ़ विपदा का सामना करना पड़ता है. इस दौरान सरकार द्वारा पीड़ितों व विस्थापितों को थोड़ी सी राहत सामग्री देकर खानापूरी कर दी जाती है. लेकिन समस्या का स्थायी हल नहीं होने से कोसी पीड़ित नारकीय जीवन जीने को विवश हैं.
प्रशासन ने बढ़ायी चौकसी
जिला प्रशासन व जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की मानें तो बाढ़ काल प्रारंभ होने के साथ ही प्रशासन द्वारा तटबंधों पर चौकसी बढ़ा दी गयी है. विभिन्न स्थानों पर अभियंताओं की टीम तैनात की गयी है. बांध के प्रत्येक किलोमीटर पर एक-एक होमगार्ड को प्रतिनियुक्त किया गया है. मुख्य अभियंता प्रकाश दास की मानें तो तटबंध और सभी स्पर पूरी तरह सुरक्षित हैं. विभाग द्वारा निरंतर निगरानी की जा रही है.
प्रशासन ने तटबंधों पर बढाई चौकसी वादा नहीं हुआ पूरा
गौरतलब है कि कोसी समस्या का अब तक स्थाई निदान नहीं किया गया है. नतीजा यह है कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में बसे लाखों की आबादी को हर साल मॉनसून काल में बाढ़ की विभीषिका झेलना उनकी नियति बन चुकी है. कोसी पीड़ितों को इस बात का अब तक मलाल है कि तटबंध निर्माण काल में सरकार द्वारा उनके साथ किये गये वादे अब तक पूरे नहीं किये गये. जमीन के बदले जमीन, घर के बदले घर, हर परिवार को एक सरकारी नौकरी और पुनर्वास आदि का वादा आज भी अधूरा है. यही वजह है कि कष्ट रहने के बावजूद हर साल बाढ़ की तबाही झेलना कोसी वासियों की मजबूरी बनी हुई है.
6 प्रखंड के 36 पंचायत हैं बाढ़ प्रभावित
- सुपौल प्रखंड के 8 पंचायतों मे से घुरन, बलवा, तेलवा, गोपालपुर सिरे, बैरिया, बसबिट्टी, रामदतपट्टी और बकौर है.
- किसनपुर प्रखंड के 9 पंचायतों में परसा माधो, नौआबाखर, बौराहा, मौजहा, दुबियाही, कटहारा-कदमपुरा, किसनपुर दक्षिण, किसनपुर उत्तर और शिवपुरी प्रभावित है.
- सरायगढ़-भपटियाही के 5 पंचायतों में बनैनिया, ढ़ोली, लौकहा, भपटियाही और सरायगढ़ है.
- निर्मली प्रखंड के 8 पंचायत में दिघिया, बेला सिंगार, मोती, मझारी, कुनौली, कमलपुर, डगमारा, हरियाही है.
- मरौना के दो पंचायत सिसौनी और घोघरड़िया तथा बसंतपुर प्रखंड के 4 पंचायत भीमनगर, भगवानपुर, रतनपुर एवं सातनपट्टी भी बाढ़ से प्रभावित है.