सिवान का गांव जहां से हुए 27 स्वतंत्रता सेनानी. सिवान: सिवान में एक ऐसा गांव जहां दो-चार नहीं बल्कि 27 स्वतंत्रता सेनानियों ने जन्म लिया. अंग्रेजों की हुकूमत के खिलाफ लड़ते-लड़ते शहीद हो गए. यह गांव सिवान जिले के महाराजगंज अनुमंडल मुख्यालय से सटे बंगरा गांव. देश का शायद ही कोई ऐसा गांव होगा जहां 27 स्वतंत्रता सेनानी पैदा हुए हों. इस गांव को स्वतंत्रता सेनानियों का गांव कहा जाता है. 27 स्वतंत्रता सेनानियों में से अब मात्र एक जीवित बचे हैं. उनका नाम मुंशी सिंह हैं.
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गांव के चारों तरफ तोप लगा दियाः मुंशी सिंह ने कहा कि- "मैं ही एक अकेला स्वतंत्रता सेनानियों में से बचा हूं. आज भी मुझे भारत सरकार से पेंशन मिलती है. 1942 में देश में क्रांति जग चुकी थी, हर हिंदुस्तानी आजाद भारत के सपने को साकार देखना चाहता था, गोरियाकोठी गांव के नारायण बाबू और इस गांव के महामाया बाबू गांव में अंग्रेजों के खिलाफ लोगों को जागरूक कर भाषण देते थे और लड़ाई के लिए तैयार करते थे. जैसे ही अंग्रेजों को मालूम चला पूरा गांव घेर लिया और चारों तरफ से तोप लगा दिये. देखते ही उड़ा देने का ऑर्डर था."
महिलाओं ने गांधी जी को चंदे में दिया था गहनाः मुंशी सिंह के अनुसार उस गांव में डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद भी कभी कभी आते थे, एक जब गांधी जी आये तो उन्होंने लोगों से चन्दा मांगा. तब सारी औरतों ने अपना अपना गहना उनकी झोली में डाल दिया. उन्होंने कहा कि इसके बाद आंदोलन और तेज हो गया. महामाया बाबू के कारण इस गांव में देखते ही देखते 27 से भी ज्यादा स्वतंत्रता सेनानी हो गए. इस गांव को स्वतंत्रता सेनानियों का गांव कहा जाता है.
स्वतंत्रता सेनानियों का गांवः इस गांव के स्वतंत्रता सेनानियों में देवशरण सिंह के अलावा रामलखन सिंह, टुकड़ सिंह, गजाधर सिंह, रामधन राम, रामपृत सिंह, सुंदर सिंह, रामपरीक्षण सिंह, शालीग्राम सिंह, गोरख सिंह, फेंकु सिंह, जुठन सिंह, काली सिंह, सूर्यदेव सिंह, बमबहादुर सिंह, राजनारायण उपाध्याय, रामएकबाल सिंह, तिलेश्वर सिंह, देवपूजन सिंह, रघुवीर सिंह, नागेश्वर सिंह, शिव कुमार सिंह, झूलन सिंह, राजाराम सिंह, सीता राम सिंह, मुंशी सिंह व सुरेन्द्र प्रसाद सिंह शामिल हैं.
गिरफ्तार नहीं कर सके तो घर में लगा दी थी आगः गोरख सिंह, सीताराम सिंह व राजाराम सिंह जैसे योद्धाओं को अंग्रेज गिरफ्तार नहीं कर सके तो इनके घर जला डाले. इसके बावजूद उनकी दशभक्ति में कोई कमी नहीं आई और यह लोग देश के लिए जेल गए. कुछ स्वतंत्रता सेनानियों को गोली लगी,लेकिन आजादी का आंदोलन और जोर पकड़ता चला गया.