सीतामढ़ी: जिले में महानवमी के अवसर पर आज भी बलि देने की प्रथा कायम है. सोमवार भी जिले के कई गावों में सबसे अधिक सौली गांव में पशुओं की बलि दी गई. जिले के कई गांवों जैसे मधकौल, सिरसिया, माचि, भंडारी, रीगा, सोनबरसा सहित अन्य प्रखंडों में भी देवी-देवताओं के सामने पशुओं की बलि दी गई. सबसे ज्यादा जिले के सौली गांव में पशुओं की बलि चढ़ाई गई.
सीतामढ़ी: यहां आज भी कायम है बलि-प्रथा, दूर-दराज से आए भक्तों का भगत करते हैं इलाज
नवरात्रि के नौवें दिन सीतामढ़ी जिले के कई गांवों में आज भी बलि-प्रथा कायम है. जिले में बलि चढ़ाने दूसरे प्रदेशों समेत विदेशों से भी लोग यहां पहुंचते हैं.
लंबे समय से चली आ रही परंपरा
स्थानीय लोगों का कहना है कि गांव में बांध किनारे एक लंबे वक्त से यह परंपरा चलती आ रही है. पहले साल करीब 35 पशुओं की बलि दी गई थी. दूसरे साल यह संख्या बढ़कर 45 हो गई. तीसरे और चौथे साल में लगभग 80 और 150 बकरों की बलि दी गई.
'मां की कृपा से दूर हुई विघ्न-बाधा'
बलि चढ़ाने पहुंचे श्रद्धालु का कहना है कि कई तरह की विघ्न-बाधाओं से पीड़ित रहने के बाद जब यहां पहुंचे तो मां काली की कृपा से ठीक हो गए. उनके घर में खुशहाली और शांति लौट आई. इसके लिए उन्होंने मन्नत मांगी थी और अब जब सबकुछ ठीक हो गया है, तो मां को धन्यवाद देने आए हैं. जिले में महानवमी की तिथि पर बलि चढ़ाने नेपाल समेत देश के अन्य राज्यों और जिलों से हर साल भारी संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं.