सीतामढ़ी: जिले में बाढ़ से भारी तबाही मची हुई है. हर ओर खौफ का मंजर है. जिले के 17 प्रखंडों में से 12 प्रखंड पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं. 105 पंचायत जल में विलीन हैं. लोग बेघर हो गए हैं. लोगों का कहना है कि बाढ़ में सब कुछ बर्बाद हो गया. कई मवेशी पानी में बह गए. हालांकि डीएम का कहना है कि बाढ़ पीड़ितों के लिए 100 से अधिक राहत शिविर बनाए गए हैं.
अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप
कई जगहों पर तटबंध क्षतिग्रस्त हो गये हैं. घर उजड़ जाने के बाद बांध पर पन्नी लगाकर लोग अपना गुजर-बसर कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि सरकार की ओर से इन्हें किसी तरह की मदद नहीं दी जा रही है. इनका आरोप है कि अधिकारियों की ओर से लापरवाही बरती जा रही है. रेनकट होने के बाद ये खुद ही मिट्टी के बोरे डाल रहे है.
रेनकट होने को बाट लोग मिट्टी के बोरे डाल रहे है. जिला प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी
जिला मुख्यालय का संपर्क कई शहरों से टूट चुका है. बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि राहत के नाम पर अब तक कुछ भी नहीं मिला है. ना ही तटबंधो में जो रिसाव हो रहे हैं उसकी मरम्मती की जा रही है. लिहाजा बाढ़ पीड़ित जिला प्रशासन के विरुद्ध नारेबाजी कर रहे हैं. हालांकि बेलसंड प्रखंड के सीओ अमरेंद्र प्रताप शाही ने कहा कि रेनकट की मरमत्ती की जा रही है. विभागीय अभियंती और ठेकेदार तटबंधों का जायजा ले रहे हैं.
बाढ़ पीड़ितों के लिए बनाया गया राहत शिविर
जिला जिलाधिकारी रंजीत कुमार सिंह ने कहा कि 3 लाख लोगों को ऊंचे स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है. बाढ़ पीड़ितों के लिए 100 से अधिक राहत शिविर बनाए गए हैं. वहीं 5 सामुदायिक किचन भी बनाया गया है जहां बाढ़ पीड़ितों के लिए आंगनबाड़ी सेविकाओं द्वारा खाना बनाया जा रहा है.
मंगाए गए मोटर बोट
एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम भी बुलाई गई है. इसके अलावा 1 दर्जन से अधिक मोटर बोट और 50 से अधिक नाव भी मंगाए गए हैं. इसके अलावा 50 और नाव की मांग की गई. बाढ़ की वजह से जिले में अबतक दो की मौत और छः लोगों के लापता होने की सूचना है. शहर के बीचो-बीच गुजरने वाली लखनदेई नदी में भी बाढ़ का पानी आ जाने के कारण शहर का कई मोहल्ला और पुनौरा स्थान मां जानकी की जन्मस्थली भी बाढ़ की चपेट में है.