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सीतामढ़ी: चंद्रयान -2 के स्वरूप में बनाया गया है पंडाल, 15 लाख की लागत से बनकर हुआ तैयार

पूजा समिति के सदस्य 15 लाख की लागत से चंद्रयान -2 की तरह पंडाल का निर्माण करा रहे हैं. इस पंडाल को बनाने के लिए विगत 2 माह से 10 कारपेंटर 24 घंटे निर्माण में जुटे हुए हैं.

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Published : Oct 2, 2019, 7:12 AM IST

Updated : Oct 2, 2019, 7:27 AM IST

चंद्रयान -2 के स्वरूप में बनाया जा रहा देवी मां का पंडाल

सीतामढ़ी: जिले में हर तरफ दुर्गा पूजा की तैयारी जोर शोर से चल रही है. जगह-जगह पूजा पंडाल और मूर्ति का निर्माण किया जा रहा है. वहीं पुंडरी क्षेत्र पुनौरा धाम के मिडिल स्कूल प्रांगण में मां शक्ति पूजा समिति का पंडाल पूरे जिला में चर्चा का विषय बना हुआ है. पूजा समिति के सदस्य 15 लाख की लागत से चंद्रयान -2 की तरह पंडाल का निर्माण करा रहे हैं. इस पंडाल को बनाने के लिए विगत 2 माह से 10 कारपेंटर 24 घंटे निर्माण में जुटे हुए हैं.

प्रत्येक वर्ष अलग-अलग स्वरूप में बनते हैं पंडाल
पूजा समिति के अध्यक्ष और सचिव का कहना है कि 1995 से पूजा का आयोजन किया जा रहा है और प्रत्येक वर्ष अलग-अलग स्वरूप में पंडाल बनाए जाते हैं. वर्ष 2015 में प्लेन जैसा पंडाल बनाया गया था. वहीं 2016 में बोइंग विमान, 2017 में ब्रह्मोस और 2018 में अग्नि 5 के स्वरूप में पंडाल का निर्माण किया गया था. वैसे तो जिले के कई ऐसे स्थल हैं जहां बड़े ही धूमधाम से पूजा की तैयारी की गई है.

सीतामढ़ी में बने चंद्रयान -2 पंडाल पर रिर्पोट

लेकिन जिला मुख्यालय के बड़ी बाजार, काली मंदिर, जानकी मंदिर, हॉस्पिटल रोड, गुदरी, मोहन शाह चौक, विश्वनाथपुर चौक, गौशाला, शंकर चौक, राजोपट्टी, पुपरी, सुरसंड, बेलसंड, रीगा, रुनीसैदपुर सहित अन्य जगहों पर भी काफी भव्य और आकर्षक पंडाल का निर्माण किया जा रहा है.


पूरे जिले में पुनौरा धाम पंडाल की है चर्चा
इन सभी जगहों पर प्रतियोगिता की भावना से पंडाल निर्माण किया जा रहा है. कहीं सोमनाथ मंदिर का स्वरूप दिया जा रहा है. तो कहीं कोलकाता के काली मंदिर का स्वरूप दिया जा रहा. सभी पूजा समिति एक दूसरे से बेहतर करने के लिए जी-जान से जुटे हुए हैं. लेकिन पूरे जिले में पुंडरी क्षेत्र पुनौरा धाम पंडाल की काफी चर्चा है. मां शक्ति पूजा समिति के अध्यक्ष गणेश महतो ने बताया है कि इस पंडाल को देखने के लिए सप्तमी, अष्टमी और नवमी तक करीब छह लाख श्रद्धालु आएंगे.

चंद्रयान -2 के स्वरूप में बना पंडाल


देशकी परिस्थिति के अनुसार बनता है पंडाल
गणेश महतो ने कहा कि पंडाल निर्माण में अब तक करीब 600 मजदूर लग चुके हैं और इसका मकसद है कि गरीब और ग्रामीण परिवेश में रहने वाले लोग, जो चंद्रयान-2 को करीब से नहीं देख पाए हैं. उन्हें पंडाल के माध्यम से इसे दिखाना. उन्होंने बताया कि इस तरह का प्रयास प्रत्येक वर्ष जारी रहता है. हर वर्ष नए-नए स्वरूप में देश की परिस्थिति के अनुसार पंडाल का भी स्वरूप बदलता रहता है.

Last Updated : Oct 2, 2019, 7:27 AM IST

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