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'भोजपुरी भाषा ही नहीं बल्कि एक संस्कृति है, 8वीं अनुसूची में शामिल कराने तक जारी रहेगा संघर्ष'

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Published : Jul 27, 2019, 6:32 PM IST

आचार्य विमलानंद अवधूत ने कहा कि भोजपुरी भाषा ही नहीं बल्कि एक संस्कृति है. जिसे लगभग 25 करोड़ लोग बोलते हैं. भोजपुरी बोलने वाले लोग देश के बाहर विदेशों में भी हैं.

प्रगतिशील भोजपुरी समाज

सारणःप्रगतिशील भोजपुरी समाज ने भोजपुरी भाषा के प्रति जागरुकता को लेकर छपरा के आनन्द मार्ग स्कूल में प्रशिक्षण शिविर लगाया. जिसमें प्रदेश भर के भोजपुरी भाषा प्रेमियों ने भाग लिया. इसमें भोजपुरी भाषा को 8वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की गयी.

सभी सरकारों ने की उपेक्षा
अमेरिका से आये आचार्य विमलानंद अवधूत ने कहा कि भोजपुरिया समाज का इतिहास बहुत ही पुराना है. अंग्रेजों से लड़ाई लड़ने वाले वीर योद्धा बाबू वीर कुंवर सिंह, देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद इसी धरती से निकले हैं. भारत को आजादी दिलाने के लिए आंदोलन की बात हुई तो महात्मा गांधी ने इसी चंपारण की धरती को चुना. इस मिट्टी ने देश को एक से बढ़कर एक विभूति दिये हैं. लेकिन आजादी से लेकर अब तक की सरकारों ने भोजपुरी समाज को उपेक्षित रखा. देश के प्रथम राष्ट्रपति के नाम पर दिल्ली में एक भी स्मारक या स्मृति भवन नहीं है. इनके नाम पर देश में एक भी हवाई अड्डा नहीं है.

प्रगतिशील भोजपुरी समाज का प्रशिक्षण शिविर

विदेशों में भी बोली जाती है भोजपुरी
ईटीवी भारत के साथ बात करते हुए आचार्य विमलानंद ने कहा कि आजादी के बाद जिन राज्यों को हिंदी भाषी कह कर छोड़ दिया गया, वो सभी राज्य पिछड़े हुए हैं. जिन राज्यों के पास अपनी भाषा है, अपनी लिपि है वो सभी राज्य आगे हैं. उन्होंने कहा कि भोजपुरी भाषा ही नही बल्कि एक संस्कृति है, जिसे लगभग 25 करोड़ लोग बोलते हैं. भोजपुरी बोलने वाले लोग देश के बाहर विदेशों में भी हैं. भोजपुरी को संवैधानिक मान्यता दिलाने तक संघर्ष जारी रहेगा.
शिविर में दिल्ली से आये आचार्य परमानंद अवधूत, आचार्या अवधुतिका रुद्र वीणा, सुशील रंजन देव, संस्था के बिहार प्रभारी सह संयोजक ध्रुव नारायण प्रसाद, डॉ जनार्धन सिंह, विजय सिंह, नंद किशोर राय सहित कई अन्य लोग मौजूद थे.

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