सारण:भिखारी ठाकुर के नाम पर राजनीति शुरू से होती आ रही है. हर पार्टी या दल के लोग इनके नाम पर जनता से वोट मांगते है. भोजपुरी के सेक्शपियर को अपना बताते हैं. लेकिन भिखारी ठाकुर के गांव की ओर किसी ने नजर उठा कर नहीं देखी. यही वजह है कि यह गांव विकास से कोसों पीछे है.
मुलभूत सुविधाओं का अभाव
भिखारी ठाकुर के गांव के लिए विकास की बात करना भी बेमानी है. यहां तो मुलभुत सुविधाओं के लिए भी लोग जूझ रहे हैं. सड़क, बिजली और पानी भी गांव के लोगों को उपल्बध नहीं है. जिनका नाम विदेशों में भी लोग लेते हैं, जिनकी रचनाओं पर आज भी नाटक किया जाता है, उस भिखारी ठाकुर के गांव का विकास करना जनप्रतिनिधियों की प्राथमिकता में नहीं है.