रोहतास:घर आंगन में चहकने, फुदकने वाली गौरैया आज लुप्त होती जा रही है. शहरों और महानगरों में तो इसकी झलक बहुत मुश्किल से नसीब होती है. आधुनिक प्रयोग जैसे टावर, बिजली के तार से हो रहे रेडियेशन के कारण इनकी संख्या कम होती जा रही है.
एक वक्त था जब लोग अपने आंगन में दाना डालकर पक्षियों को न्योता देते थे, ताकि उनकी अठखेलियां निहार सकें. लेकिन, अब यह सब महज किस्सों तक ही सीमित रह गया है. क्योंकि अब ना लोगों के पास उतना समय है और ना पक्षियां इतनी दिखाई पड़ती हैं.
18 सालों से कर रहे कोशिश
विलुप्त हो रही गौरैया पक्षी के संरक्षण के लिए रोहतास जिले का एक पक्षी प्रेमी जी तोड़ कोशिश कर रहा है. अर्जुन सिंह जिले के करगहर प्रखंड स्थित मेरड़ी गांव के निवासी हैं. अर्जुन गौरैया पक्षियों के लिए भगवान बनकर आएं हैं. बीते 18 सालों से वह गौरैया को बचाने की मुहिम में जुटे हुए हैं. सालों पहले घटी एक घटना ने उन्हें ऐसा करने की प्रेरणा दी.
ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट क्या थी वह घटना?
अपनी पत्नी के निधन के बाद अर्जुन अपनी जिंदगी बिताने के लिए गांव पहुंचे थे. वह बताते हैं कि एक दिन वह अपने घर के आंगन में बैठे थे. तभी एक गौरैया का बच्चा चोटिल अवस्था में उनके पास गिरा. अर्जुन सिंह ने गौरैया के बच्चे को उठाकर उसका इलाज किया और उसे दाना पानी देना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे चिड़ियों का आना-जाना वहां शुरू होने लगा. देखते ही देखते अर्जुन सिंह के आंगन में सैकड़ों चिड़ियों का जमावड़ा दिखने लगा. उन्होंने दाना पानी देकर चिड़ियों से दोस्ती की और खुद का अकेलापन दूर कर लिया.
चिड़ियों ने आंगन को बना लिया घर
घर के आंगन में चिड़ियों ने घोंसला बनाना शुरू कर दिया. लेकिन, असुरक्षित जगह होने के कारण पक्षियों पर अन्य जीव-जंतुओं का हमला होने लगा. जिससे उनके बच्चों और अंडों को नुकसान पहुंचने लगा. इस हालात को देखकर अर्जुन सिंह काफी दुखी हुए और निर्णय लिया कि अब उनके रहने के स्थान को सुरक्षित बनाएंगे. उन्होंने अपने पक्के मकान को गौरैया का घर बना दिया.
पक्के मकान में करवाया छेद
अर्जुन ने मकान को ऐसा डिजाइन करवाया जिसमें घोंसला बनाया जा सके. उन्होंने अपने घर की दीवारों में गौरैया को रहने के लिए इस तरह से छेद कराया, जिसमें सिर्फ गौरैया ही अंदर प्रवेश कर सकती है. यहां कोई अन्य पक्षी या कोई जीव प्रवेश नहीं कर सकता. फिलहाल, अर्जुन सिंह को बिहार वन्य प्राणी परिषद का सदस्य बनाया गया है. हालांकि, गौरैया संरक्षण के लिए इन्हें कई बार पुरस्कारों से भी नवाजा जा चुका है.
हजारों गौरैया का है वास
अर्जुन सिंह के घर में आज हजारों गौरैया बड़े आराम से चहकती और फुदकती है. उन्होंने बताया कि वह गौरैया के रहने, खाने का पूरा इंतजाम देखते हैं. उन्होंने इन हजारों पक्षियों को ही अपना परिवार मान लिया है.