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अब बिहार में भी मिलेगी ये चाइनीज सब्जी, इसकी खेती कर हजारों कमा रहा हैं किसान

पटना में आयोजित कृषि मेला में मनोज कुमार के ब्रोकली को पूरे बिहार में द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ था. मनोज कुमार बताते हैं कि ब्रोकली की खेती कर उन्हें काफी फायदा हो रहा है.

ब्रोकली

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Published : Mar 11, 2019, 2:03 PM IST

रोहतास. कहते हैं कि इंसान में कुछ नया करने की चाह हमेशा होती है. इसी चाह ने धान की खेती के लिए मशहूर रोहतास को अब एक विदेशी सब्जी के लिए प्रसिद्ध कर दिया है. ये कर दिखाया है जिले एक किसान ने, जो ट्रेडिशनल खेती के बजाए मॉडर्न खेती करके हजारों रुपए की कमाई कर रहे हैं. ये एक ऐसी सब्जी है जिसका नाम आपने बहुत कम सुना होगा. नाम से ही ये सब्जी देसी नहीं बल्कि विदेशी लगती है. हम बात कर रहें हैं ब्रोकली की, जो एक चाइनीज गोभी है.

दरअसल, रोहतास के एक किसान ने अपनी मेहनत के बलबूते ट्रेडिशनल खेती की परिभाषा को ही बदल डाला है. सासाराम प्रखंड से महज 10 किलोमीटर दूर अकाशी गांव के मनोज यादव ने सारे मिथक को तोड़कर एक उन्नत तरीके के पौधे की उपज करना शुरू कर दिया है. यह पौधा ब्रोकली के नाम से जाना जाता है. ब्रोकली को आम भाषा में हरे गोभी के नाम से भी जाना जाता है. मनोज कुमार रोहतास के पहले ऐसे किसान हैं जिन्होंने ब्रोकली की खेती शुरू की है. जिसके लिए उन्हें राज्यपाल से इनाम तक मिल चुका है.

किसान मनोज कुमार

कई राज्यों में है काफी मांग
गौरतलब है कि पिछले दिनों पटना में आयोजित कृषि मेला में मनोज कुमार के ब्रोकली को पूरे बिहार में द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ था. मनोज कुमार बताते हैं कि ब्रोकली की खेती कर उन्हें काफी फायदा हो रहा है. क्योंकि ब्रोकली की खेती से उन्हें नगद के रूप में पैसा मिलता है और इसकी मांग भी काफी अधिक है. बिहार के अलावा देश के अन्य कई राज्यों में भी इसकी सप्लाई काफी होती है.

लाखों रुपये की कमाई
मनोज कुमार पहले परंपरिक धान की खेती किया करते थे, लेकिन उस खेती से उन्हें कुछ ज्यादा मुनाफा नहीं होता था. लिहाजा उन्होंने कुछ अलग करने की सोची, जिसके बाद उन्होंने ब्रोकली जैसे सब्जी की खेती की और आज वो उससे लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं.

बयान देते किसान मनोज कुमार

क्या है मनोज का सपना
मनोज का सपना है कि इस तरह की खेती तमाम किसान करें, ताकि किसानों को इसका लाभ मिल सके. वहीं, उन्होंने बताया कि सरकार की तरफ से उन्हें कोई खास तवज्जो नहीं दी जा रही है. जिससे वह अपनी खेती में और चार-चांद लगा सकें. उन्हें ना तो अब तक कोई अनुदान मिला है और ना ही सरकार की तरफ से कोई सहायता.

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