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किसानों को नहीं मिल रहा सरकारी योजनाओं का लाभ, पैक्स और डीलर पर बंदरबांट का आरोप

किसानों का कहना है कि अक्टूबर से नवंबर के बीच मक्का और नवंबर से दिसंबर के बीच गेंहू की रोपनी की जानी थी. लेकिन सरकार की ओर से मिलने वाली सब्सिडी युक्त बीज में लेटलतीफी के कारण जनवरी में आई. लिहाजा किसानों को इससे पहले ही बाजार मूल्य पर बीज की खरीदारी कर अनुकूल मौसम देख कर बुआई करनी पड़ी.

Government schemes is not reaching to farmers in purnea
किसानों तक नहीं पहुंच रही सरकारी योजनाएं

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Published : Jan 10, 2020, 11:47 AM IST

Updated : Jan 10, 2020, 12:01 PM IST

पूर्णिया: एक तरफ जहां सरकार किसानों के लिए अनगिनत योजनाओं का दावा कर रही है. वहीं, ग्रास लेवल पर इन योजनाओं की हकीकत एक अलग ही कहानी बयां कर रही है. किसानों को सरकार की ओर से चलाई जा रही सब्सिडी युक्त बीज और खाद्य जैसी मूलभूत सुविधाएं तक नहीं मिल पा रही हैं.

समय पर नहीं मिला सब्सिडाइज बीज
जिले के किसानों की मानें तो सरकार की ओर से चलाई जा रही सारी योजनाएं पैक्स और बिचौलियों की चक्की में पीस रही है. यही वजह है कि जिले के लालगंज पंचायत के किसानों में सरकार और सिस्टम के प्रति खासी नाराजगी है. सरकारी योजनाओं को लेकर असंतोष जाहिर करते हुए किसान परामनंद यादव ने बताया कि अक्टूबर से नवंबर के बीच मक्का और नवंबर से दिसंबर के बीच गेंहू की रोपनी की जानी थी. लेकिन सरकार की ओर से मिलने वाली सब्सिडी युक्त बीज में लेटलतीफी के कारण जनवरी में आई. लिहाजा किसानों को इससे पहले ही बाजार मूल्य पर बीज की खरीदारी कर अनुकूल मौसम देख कर बुआई करनी पड़ी.

नवंबर से दिसंबर के बीच गेंहू की होनी थी रोपनी

पैक्स और सरकारी डीलर कर रहे बंदरबांट
किसानों का कहना है कि 8 हजार की आबादी वाले इस पंचायत में ज्यादातर किसान ऐसे हैं, जिनके पास बेहद कम जमीन है. यहां 87 फीसद किसान, किरायेदार किसान या छोटे किसान की श्रेणी में शामिल हैं. ऐसे में अनुदान पर मिलने वाली खाद्य ,बीज और मशीन ही एकमात्र सहारा रह जाता है, जिससे इन्हें लागत का अनुमानित मुनाफा हासिल हो सके. लेकिन पैक्स और सरकारी डीलर इसका बंदरबांट करते हैं.

क्या कहते हैं किसान

देखें ये रिपोर्ट
किसान संजय कुशवाहा ने कहा कि इसकी एक बड़ी वजह पैक्स अध्यक्ष हैं. जो अपनी मनमानी कर बिचौलियों को सब्सिडी युक्त खाद्य और बीज बेचते हैं. वहीं किसानों को सरकार द्वारा दी जा रही जानकारी से महरूम रखा जाता है. जिससे किसानों को सब्सिडी युक्त खाद्य और बीज का लाभ नहीं मिल पाता. उन्होंने कहा कि इसमें व्याप्त भ्रष्टाचार पर तभी अंकुश लग सकता है, जब पैक्स अध्यक्ष पैसों के बल पर नहीं बल्कि खेतीबाड़ी से जुड़े जमीनी लोग बने.
खेत में काम करते किसान

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क्या कहते हैं कृषि पदाधिकारी
ईटीवी भारत से बात करते हुए जिला कृषि पदाधिकारी सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि सरकारी बीज की प्रक्रिया अब ऑनलाइन हो चुकी है. किसानों को इनसे बचने के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया के तहत बीज के लिए आवेदन करना चाहिए. ओटीपी सिस्टम से सब्सिडाइज मूल्य पर बीज किसानों को दी जा रही है. वहीं, सब्सिडी युक्त खाद्य 265 रुपये के मूल्य पर किसानों को दी जा रही है. किसान आधारकार्ड और पॉश मशीन दिखाकर इसे प्राप्त कर सकते हैं. इस मामले पर सफाई देते हुए उन्होंने कहा कि अगर इसको लेकर शिकायत आई है तो स्थल निरीक्षण कर मामले की जांच की जाएगी.

Last Updated : Jan 10, 2020, 12:01 PM IST

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