पूर्णिया: अक्सर बिजली काटकर लोगों को परेशान करने वाला बिजली विभाग इन दिनों खुद बड़ी परेशानी से जूझ रहा है. दरअसल महीनों से अन्य सरकारी विभागों का करोड़ों बिजली बिल बकाया पड़ा हुआ है. विभाग के आलाधिकारियों के मुताबिक दर्जनों सरकारी दफ्तरों पर तकरीबन 11 करोड़ का बकाया है. लिहाजा अब तक सरकारी महकमों पर मेहरबान बिजली विभाग बिल वसूली के लिए सख्ते में आ गया है. जल्द ही विभाग अल्टीमेटम की अनदेखी करने वाले विभागों की बत्तियां गुल करने वाला है.
बिजली विभाग का दोहरा रवैया: आम लोगों के बकाए पर नोटिस, कई विभागों पर करोड़ों का कर्ज
विभाग के आलाधिकारियों के मुताबिक दर्जनों सरकारी दफ्तरों पर तकरीबन 11 करोड़ का बकाया है.
लपेटे में बीएसएनएल
कुछ दिनों पहले ही करोड़ों के बकाए के बाद जिले के बिजली विभाग एकाएक हरकत में आया. आमतौर पर सरकारी सिस्टम के प्रति नरमी दिखाने वाले इस विभाग ने कार्रवाई करते हुए दूरसंचार की सुविधा उपलब्ध कराने वाली सरकारी कंपनी बीएसएनएल के जिले भर में लगे दर्जन से अधिक मोबाइल टावरों के बिजली कनेक्शन काट दिए.
हालांकि जैसे ही बिजली विभाग के तेवर कड़े हुए ठीक उसके बाद ही बीएसएनएल ने जी का जंजाल बने बिजली किराये को चुकाने के लिए अंतिम मार्च तक का समय मांगा. करीब 25 लाख के बिजली भुगतान का आश्वासन देते हुए बीएसएनएल ने बिजली विभाग से मोबाइल टावरों के लिए बिजली सुविधा की अपील की. बाद में बिजली सेवा मुहैया करा दी गई.
कई विभागों पर करोड़ों का बकाया..
बिजली विभाग के कार्यपालक अभियंता नटवर लाल वर्मा ने बताया कि बीएसएनएल ही एकमात्र ऋणी कंपनी नहीं है. बल्कि बिहार सरकार के कई विभाग इस रेस में बीएसएनल से भी दो कदम आगे हैं.ऋणी विभागों की सूची में सबसे अधिक बकाया जिले के लघु सिंचाई विभाग पर है. इस विभाग का करीब 5 करोड़ बकाया है. वहीं नगर निगम, सदर अस्पताल व पुलिस डिपार्टमेंट, पूर्णिया कॉलेज, पीएचडी समेत कई दूसरे विभागों व संस्थाओं का भी भारी बकाया है.
बिजली विभाग ने इन सभी को बकाया जमा करने के लिए पत्र लिखकर मार्च तक का अल्टीमेटम दिया है. यदि इसके बाद भी सरकारी महकमे बिजली विभाग के फरमान की अनदेखी करते हैं तो विभाग बिजली काटने के साथ-साथ अधिकारियों पर कार्रवाई भी करेगा.
उठ रहे कई गंभीर सवाल...
हालांकि इस चर्चा से सवाल यह सवाल उठने लगे हैं कि 50-70 हजार का बकाया होने पर जब आमलोगों के घरों के बिजली कनेक्शन काटने की नोटिस चिपका दिए जाते हैं ऐसे में विभाग आखिर क्यों सरकारी महकमों पर इतनी मेहरबानी कर रहा है?