पूर्णियाः पूर्णिया सदर अस्पताल में 3 दिनों से पड़े लावारिस शव को देखने वाला कोई नहीं है. परिसर में कुत्ते इस ताक में रहते हैं कि कब लाश के पास कोई ना रहे और कब लाश पर हमला करे. बता दें कि लावारिस शव पर अस्पताल प्रशासन का कोई ध्यान नहीं रहता. इस बारे में अस्पताल अधीक्षक का कहना है कि लावारिस शव पहुंचने के बाद हम पुलिस को सूचित करते हैं. उसके बाद पुलिस आती है और तफ्तीश करने के बाद दाह संस्कार करती है.
अक्सर कुत्ते बनाते हैं शिकार
पूर्णिया में हादसे के शिकार हुए अज्ञात लोगों के शव को अस्पताल परिसर में ही एक कोने में स्ट्रेचर पर रख दिया जाता है. कुछ देर तो उसे सामने रखा जाता है ताकि कोई उनकी पहचान कर ले. लेकिन पहचान नहीं होने के बाद लाश को कोने में रख दिया जाता है. वहीं परिसर में आवारा कुत्ते उस लाश पर हमला करने के फिराक में पड़े रहते हैं. अस्पताल परिसर में 3 दिनों से ही ऐसी लाश पड़ी है.
अस्पताल परिसर के एक कोने में पड़ी लावारिस लाश अंजान व्यक्ति ने पहुंचाया था शव
पूर्णिया सदर अस्पताल में पिछले 3 दिनों से एक शव रखा है. उसकी पहचान नहीं हो सकी है. किसी अनजान व्यक्ति द्वारा इस शव को अस्पताल पहुंचाया गया था. मगर इस शव पर अस्पताल प्रशासन की निगाह नहीं पड़ रही है. वहीं शव के आसपास काफी संख्या में आवारा कुत्ते भटक रहे हैं. अस्पताल में इलाज करवाने पहुंचे परिजनों का कहना है कि पिछले 3 दिनों से इस शव को बरामदे पर ही देख रहे हैं. इस शव से बदबू भी आने लगी है.
पहले भी घट चुकी है घटना
आपको बता दें कि इससे पहले भी इस तरह की घटना सदर अस्पताल में घट चुकी है. पहले भी इसको लेकर ईटीवी भारत ने आवाज उठाई थी. तब अस्पताल प्रशासन सक्रिय हुआ था. इससे पहले इसी तरह बरामदे में एक शव को रख दिया गया था. कुत्तों ने शव पर हमला कर दिया था. लोगों ने तो उस वक्त कुत्तों को भगा दिया था लेकिन काफी बदबू आने के बाद लोगों ने शिकायत की. ईटीवी भारत ने सवाल किया. तब जाकर उस शव को हटाया गया. अस्पताल प्रशासन ने जवाब दिया था कि शव के पहचान को रखा गया है.
पुलिस को सूचना दी गई है
इस बाबत सदर अस्पताल के अधीक्षक इंद्रानंद झा ने बताया कि लावारिस शव पहुंचने के बाद अस्पताल प्रशासन द्वारा स्थानीय पुलिस को सूचना दे दी जाती है. उसके बाद स्थानीय पुलिस की जिम्मेवारी बनती है कि उनके परिजन का इंतजार करे. किसी के ना आने पर पुलिस उसका संस्कार करे. वहीं आपको जानकर हैरानी होगी कि जहां शव रखा गया है उसी रास्ते डॉक्टर मरीजों का इलाज करने वार्ड में जाते हैं.