पटना: बिहार शिक्षा परियोजना परिषद, यूनिसेफ के साथ मिलकर राज्यभर में माहवारी स्वच्छता प्रबंधन से जुड़े विभिन्न पहल पर काम कर रही है. बिहार सरकार मुख्यमंत्री किशोरी स्वास्थ्य योजना के तहत माहवारी स्वच्छता प्रबंधन के लिए 300 रुपये की वार्षिक राशि भी प्रदान कर रही है. यह कक्षा सातवीं से 12वीं तक की किशोरियों को दिया जाता है. हालांकि अधिकांश स्कूल जाने वाली लड़कियों को इस प्रावधान के बारे में अभी पूरी जानकारी नहीं है.
हर किशोरी को सब्सिडी की जानकारी देने और इस योजना के माध्यम से अपने माहवारी के बेहतर प्रबंधन के लिए सशक्त बनाने के उद्देश्य से यूनिसेफ और नव अस्तित्व फाउंडेशन साथ मिलकर पायलट पहल के रूप में राज्य के सभी 38 जिले के मॉडल स्कूलों में जागरूकता सत्र आयोजित कर रही है.
28 मई को मनाते हैं माहवारी स्वच्छता दिवस
समाज में जागरूकता बढ़ाने के लिए माहवारी स्वच्छता दिवस का आयोजन विश्वभर में हर 28 मई को किया जाता है. माहवारी स्वच्छता दिवस की शुरुआत साल 2014 में जर्मनी में की गई थी. इसका मुख्य उद्देश्य समाज में मासिक धर्म को लेकर फैली विडंबना और गलत अवधारणा को दूर करना है. साथ ही किशोरियों और महिलाओं को माहवारी प्रबंधन संबंधित सही जानकारी देना है. 28 मई का दिन इसलिए चुना गया क्योंकि माहवारी चक्र की औसत लंबाई 28 दिन की होती है.
माहवारी को लेकर फैली विडंबनाओं पर रोक जरूरी ग्रामीण इलाकों में जागरूकता आवश्यक
इस कार्यक्रम में किशोरियों को माहवारी के समय स्वच्छ उपयोग, सुरक्षित निपटाने के साथ-साथ समाज में फैले अंधविश्वासों से ऊपर उठने को भी कहा जा रहा है. गौरतलब है कि महिलाओं का प्रजनन स्वास्थ्य हाल के वर्षों में काफी चर्चित विषय रहा है. प्रजनन स्वास्थ्य संबंधित मुद्दों को दूर करने के लिए बहुत सारी पहल भी की गई है. लेकिन, आज भी गांव में इसे अशुद्ध और अपवित्र माना जाता है. एक आंकड़े के मुताबिक बिहार के शहरी क्षेत्रों में जहां 55.6 प्रतिशत महिलाएं माहवारी का प्रबंधन सुरक्षित और साफ तरीके से करती हैं. वहीं, ग्रामीण इलाकों में ऐसी महिलाओं की संख्या केवल 27.3 प्रतिशत है.