अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस विशेष पटना: दुनिया भर में 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है. इस मौके पर प्रसिद्ध पद्मश्री डॉक्टर शांति रॉय (Padma Shri Dr Shanti Roy) से ETV Bharat संवाददाता ने एक्सक्लूसिव बातचीत की. डॉ. शांति रॉय का का जन्म बिहार के गोपालगंज जिले में हुआ और शुरुआती दिनों में उन्होंने सिवान में अपनी प्रैक्टिस की, फिर रांची और इसके बाद पीएमसीएच में वह गायनेकोलॉजी विभाग की एचओडी के पद से रिटायर हुईं हैं. वह 81 वर्ष की आयु में भी एक्टिव रहती हैं और प्रतिदिन सैकड़ों मरीजों को देखती हैं. उनका जीवन दुनिया भर की महिलाओं के लिए मिसाल है. उनकी सक्रियता, ज्ञान और समाज में उनके योगदान के लिए साल 2021 में उन्हें पद्मश्री से सम्मानित भी किया गया है. उनका कहना है कि महिलाएं जब शिक्षित और स्वस्थ होंगी तभी समाज सशक्त बनेगा.
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ऐसे परिवार में जन्म लेना है खुशनसीबी:डॉक्टर शांति रॉय ने बताया कि वह खुशनसीब है कि उनका जन्म ऐसे परिवार में हुआ है जहां शिक्षा को विशेष महत्व दिया गया. जिस जमाने में महिलाओं पर कई प्रकार की पाबंदियां थी, पढ़ाई लिखाई के लिए बराबर का अवसर नहीं मिलता था, उस समय परिवार ने लड़का-लड़की में भेदभाव नहीं किया. उनके भाई ने जैसी पढ़ाई की है, वही पढ़ाई उन्होंने भी की और उनके दादा-दादी भी उनके पढ़ाई के लिए उस जमाने में काफी प्रोग्रेसिव सोच विचार वाले थे. आज वह पढ़ लिख कर जिस भी मुकाम पर हैं उसके पीछे पूरा श्रेय उनके दादा-दादी और माता-पिता को जाता है. डॉक्टर शांति रॉय ने बताया कि मुझे लगता है कि जब तक वह मरीजों की सेवा कर सकती हैं उन्हें करते रहना चाहिए और वह निष्क्रिय होकर नहीं बैठे रहना चाहतीं. अब तक का सफर काफी अच्छा रहा है क्योंकि वह अपने 50 वर्ष से अधिक के लंबे मेडिकल कैरियर में लाखों मरीजों का उपचार कर चुकीं हैं.
न्यूक्लियर फैमिली की महिलाओं को होती है परेशानी:डॉक्टर शांति रॉय ने बताया कि अक्सर बच्चों के जन्म के बाद पढ़ी-लिखी महिलाओं का भी रोजगार और नौकरी छूट जाता है. ऐसा इसलिए क्योंकि बच्चों को मां का केयर चाहिए होता है और मां की देखभाल बहुत जरूरी भी होती है. यह समस्या आज के दौर में इसलिए भी अधिक हो रही है क्योंकि आज का जमाना न्यूक्लियर फैमिली का चल रहा है. न्यूक्लियर फैमिली में मां-बाप और बच्चे होते हैं और यहां दादा-दादी, चाचा-चाची नहीं होते हैं. ऐसे में यदि मां काम कर रही है और उसका काम ऐसा है जहां उसका अधिक समय व्यतीत हो रहा है ऐसे में बच्चे के केयरिंग के लिए उसका काम छूट जाता है. जबकि यही जॉइंट फैमिली की स्थिति देखें तो जॉइंट फैमिली में ऐसी महिलाएं काम कर लेती हैं क्योंकि इन महिलाओं की जेठानी-देवरानी या सास-ससुर बच्चों की देखभाल कर लेते हैं. घर में बच्चों का केयर करने वाला कोई ना कोई अपना रहता है.
महिलाओं को लेकर आज भी पीछे है एजुकेशन सिस्टम: डॉ शांति रॉय ने बताया कि महिला स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता की कमी है और इसके पीछे कारण एजुकेशन सिस्टम है. एजुकेशन सिस्टम में बच्चों को शुरुआत से ही हेल्थ से जुड़े टॉपिक को समझाना चाहिए. लड़के-लड़कियां जब 10 से 11 वर्ष के हो जाएं तो उस समय उन्हें रिप्रोडक्टिव सिस्टम, प्यूबर्टी और मेंस्ट्रुअल हाइजीन पर खुलकर समझाना चाहिए. बच्चों को बताना चाहिए कि लड़कियों को पीरियड होना और लड़कों का भी कभी-कभी फॉल स्वभाविक है और यह शरीर की कोई गड़बड़ी नहीं है. लड़कों को भी लड़कियों के पूरे हेल्थ सिस्टम के बारे में जानना चाहिए और लड़कियों को भी लड़कों के पूरे हेल्थ सिस्टम के बारे में पता होना चाहिए, ताकि जब वह वयस्क हो तो हेल्थ के मुद्दे पर उनका दिमाग पूरी तरह से तैयार रहे. उन्होंने कहा कि पति-पत्नी को एक-दूसरे से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं पर खुलकर बातें करनी चाहिए. इसके अलावा स्कूलों और कॉलेजों में इन सभी विषयों पर कार्यशाला आयोजित कराने के साथ-साथ जागरूकता करने की भी आवश्यकता है.
शांति रॉय की पुरूषों से अपील: डॉ शांति रॉय ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर वह पुरुषों से अपील करेंगी कि महिलाओं को कोई एक वस्तु ना समझे बल्कि बराबर का साझेदार माने. चाहे पति हो या पत्नी एक दूसरे पर रौब ना झाड़ें, प्यार से बातें करें. एक दूसरे की भावनाओं को समझें. उन्होंने कहा कि वह महिलाओं से अपील करेंगी कि अपने आप को शिक्षित करें, ज्ञान और समझदारी विकसित करने वाले लेख को पढ़ें, वीडियो को देखें. स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर खुलकर अपने पति से बात करें इसके अलावा अपने स्वास्थ्य को लेकर बिल्कुल भी लापरवाही ना बरतें. उन्होंने कहा कि अक्सर देखने को मिलता है कि महिलाएं दर्द सहती रहती हैं और बताती नहीं और पता तब चलता है जब समस्या विकराल हो जाता है. इसलिए जरूरी है कि महिलाएं अपने स्वास्थ्य का पूरा ख्याल रखें, घर के पुरुष भी महिलाओं के स्वास्थ्य की चिंता करें क्योंकि महिलाएं स्वस्थ होंगी तो परिवार स्वस्थ रहेगा और महिलाएं जब शिक्षित और स्वस्थ होंगी तो हमारा समाज सशक्त बनेगा.
"अपने आप को शिक्षित करें, ज्ञान और समझदारी विकसित करने वाले लेख को पढ़ें, वीडियो को देखें. स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर खुलकर अपने पति से बात करें. इसके अलावा अपने स्वास्थ्य को लेकर बिल्कुल भी लापरवाही ना बरतें. अक्सर देखने को मिलता है कि महिलाएं दर्द सहती रहती हैं और बताती नहीं और पता तब चलता है जब समस्या विकराल हो जाती है. इसलिए जरूरी है कि महिलाएं अपने स्वास्थ्य का पूरा ख्याल रखें, घर के पुरुष भी महिलाओं के स्वास्थ्य की चिंता करें क्योंकि महिलाएं स्वस्थ होंगी तो परिवार स्वस्थ रहेगा और महिलाएं जब शिक्षित और स्वस्थ होंगी तो हमारा समाज सशक्त बनेगा."- डॉ शांति रॉय, गायनेकोलॉजिस्ट