पटना: बिहार में दो चरणों के चुनाव हो चुके हैं. पहले चरण में 4 लोकसभा सीट पर चुनाव हुए थे और दूसरे चरण में 5 लोकसभा सीट पर दोनों चरणों में महिलाओं ने वोट करने में पुरुषों को पीछे छोड़ दिया है. जहां पहले चरण में महिलाओं ने पुरुषों से 2% अधिक वोटिंग किया तो वहीं दूसरे चरण में महिलाओं ने 6% अधिक वोट डाले हैं.
महिलाओं के अधिक वोटिंग होने पर पार्टियों के अपने-अपने दावे भी हैं विशेषज्ञ भी अपने तरीके से इसके मायने निकाल रहे हैं. महिलाओं की अधिक वोटिंग तब है जब बिहार में 40 सीटों पर 10 प्रतिशत भी महिलाओं को टिकट नहीं दिया गया है.
पार्टियों की प्रतिक्रिया
पार्टियां महिलाओं की अधिक वोटिंग को लेकर अपने-अपने तरीके से दावे कर रही है. जहां जेडीयू की ओर से दूसरा चरण महत्वपूर्ण था पांचों सीटों पर जेडीयू के ही उम्मीदवार थे. जेडीयू के नेता कह रहे हैं कि नीतीश कुमार की शराबबंदी और महिलाओं के लिए किए गए कई फैसले चाहे वह पंचायत में 50% आरक्षण की बात हो या फिर सरकारी नौकरियों में 35% आरक्षण देने की बात जन्म से लेकर ग्रेजुएशन तक ₹52000 देने की बात हो लड़कियों को साइकिल देने की बात हो और अन्य योजनाएं शुरू करने का श्रेय नीतीश कुमार को जाता है. इसलिए महिलाएं नीतीश कुमार के नाम पर ही जेडीयू को वोट करेंगी. इसका लाभ एनडीए को मिलेगा. महागठबंधन के तरफ से खासकर दलित, पिछड़ा और अल्पसंख्यक महिलाओं को अपने पक्ष में गोल बंद करने की पूरी कोशिश करने की बात की जा रही है.
विशेषज्ञों का क्या है कहना
हालांकि विशेषज्ञों की अपनी राय भी है ए एन सिन्हा इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर अजय कुमार झा का कहना है कि महिलाओं में एजुकेशन के कारण जबरदस्त अवेयरनेस आया है. अब वह वोट करने में भी अपना निर्णय खुद ले रही हैं. दूसरा कारण पलायन भी है लेकिन उससे महिलाओं की वोटिंग पर असर नही पड़ता पुरुषों का कुछ जरूर बढ़ जाता.