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डबल इंजन की सरकार में भी आपदा में बिहार को मदद देने में केंद्र कर रहा कंजूसी

बिहार में बाढ़ और सूखे से हर साल हजारों करोड़ का नुकसान होता है. नुकसान की भरपाई के लिए बिहार सरकार केंद्र से मदद भी मांगती रही है. केंद्र सरकार मदद देने में बिहार के साथ हमेशा उपेक्षा पूर्ण रवैया ही अपनाता रहा है. 2020 में 16 जिले में बाढ़ से काफी नुकसान हुआ था. बिहार सरकार ने केंद्र से 3328 करोड़ की मांग की थी. लेकिन, केवल 1255 करोड़ ही मिला. हालांकि, केंद्र से मदद मिलने का पहले का रिकॉर्ड और भी खराब है. देखिए ये रिपोर्ट.

पटना
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Published : Mar 30, 2021, 9:42 PM IST

Updated : Mar 30, 2021, 10:19 PM IST

पटना:बाढ़ के कारण हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए बिहार सरकारकेंद्र से मदद की मांग करती रही है. डबल इंजन की सरकार में भी केंद्र बिहार कोमदद देने में कंजूसी कर रहा है. मदद देने से पहले केंद्र सरकार केंद्रीय टीम भेजती है. केंद्रीय टीम भी मानती रही है कि बाढ़ से नुकसान अधिक हुआ है. लेकिन, बाद में जो मदद मिलती है वह मांग के अनुरूप काफी कम होती है.

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बिहार के प्रति उपेक्षा पूर्ण रवैया
2007 से केंद्र से मिलने वाले मदद को देखें तो साफ हो जाता है कि केंद्र सरकार का रवैया बिहार के प्रति उपेक्षा पूर्ण रहा है. कुछ साल तो बिहार सरकार ने जो मांग की उस पर एक तरह से केंद्र सरकार ने पूरी तरह से अनसुना कर दिया. डबल इंजन की सरकार में भी केंद्र सरकार मदद देने में कंजूसी करती रही है, उससे पहले तो स्थिति और भी खराब थी.

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2020 बाढ़ को लेकर बिहार सरकार का केंद्र को ज्ञापन

  • राहत सहायता अनुदान के लिए 1200.40 करोड़
  • कृषि क्षति की भरपाई के लिए 999.60 करोड़
  • ग्रामीण सड़क क्षति की भरपाई के लिए 412.90 करोड़
  • बांध और तटबंध की मरम्मत के लिए 483.92 करोड़
  • कम्युनिटी किचन के लिए 112.97 करोड़
  • सड़क मरम्मत के लिए 70.01 करोड़
  • बिजली के तार पोल के लिए 16.31 करोड़
  • रिलीफ सेंटर के लिए 6.95 करोड़
  • घरों के नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए 6.39 करोड़
  • फूड पैकेट एयर ड्रॉपिंग के लिए 6 करोड़
  • नाव के नुकसान के लिए 2.07 करोड़
  • पशु और चारा के लिए 88 लाख
  • अनुग्रह अनुदान के लिए 1.20 करोड़

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आपदा राहत पर बिहार सरकार का दावा
बाढ़ और आपदा के समय नीतीश कुमार लोगों की हर मदद सरकार के पैसे से मुहैया कराने का दावा करते रहे हैं. ये भी कहते रहे हैं कि सरकार के खजाने पर पहला हक आपदा पीड़ितों का ही है. मुख्यमंत्री बाढ़ ग्रस्त इलाकों का खुद निरीक्षण भी करते हैं. कई बार प्रधानमंत्री और अन्य केंद्रीय मंत्री भी बाढ़ ग्रस्त इलाकों का दौरा करते रहे हैं. लेकिन, सच्चाई आंकड़े बता रहे हैं.

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अब केंद्र पर आरोप लगाने से बचते हैं सीएम नीतीश
पहले जब एनडीए की सरकार नहीं थी, तो नीतीश कुमार इस तरह का आरोप बार-बार लगाते थे कि केंद्र से मदद नहीं मिल रही है. केंद्र में एनडीए सरकार होने के बाद अब इस तरह का आरोप लगाने से भी बिहार सरकार बच रही है. आंकड़ों से साफ पता चलता है कि बिहार के प्रति केंद्र सरकार का शुरू से जो रवैया रहा है, वह ठीक नहीं रहा है. नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद इसमें सुधार जरूर दिख रहा है. केंद्र से मदद भी बढ़ी है.

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मोदी सरकार के आने से दिखा थोड़ा सुधार
एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की मदद भी बढ़ी है. लेकिन, बाढ़ और सुखाड़ से होने वाले नुकसान की भरपाई में जो मदद मिलना है. वह अभी भी काफी कम है. इस बार राज्यसभा में भी जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह ने इस मामले को उठाया था और केंद्र से बिहार के लिए आपदा को लेकर एक विशेष फंड बनाने का आग्रह भी किया है.

बिहार को मदद देने में केंद्र कर रहा कंजूसी

बिहार सरकार का तर्क रहा है कि बिहार को जो बाढ़ से नुकसान होता है, उसका सबसे बड़ा कारण नेपाल से आने वाला पानी है और उसे रोकना बिहार सरकार के बूते में नहीं है. वहीं, गंगा और सोन जैसी नदियों में भी जो बाढ़ आती है, उसका बड़ा कारण दूसरे राज्यों में होने वाली अधिक वर्षा होती है. ऐसे में केंद्र सरकार को विशेष पहल करनी चाहिए.

Last Updated : Mar 30, 2021, 10:19 PM IST

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