पटना: पूरे विश्व के लिए पटना बिहार का वह दर्पण है, जिससे पूरे बिहार की तस्वीर दिखती है. लेकिन अगर बात विकास को लेकर की जाए तो प्रदेश का राजधानी में अभी भी बहुत कुछ नहीं बदला है. शिक्षा की व्यवस्था पुराने किले की टूटी दीवार पर मुंह लटकाए बैठी हुई है. वहीं, स्वास्थ्य व्यवस्था भी अपनी बदहाली पर रो रही है. यहां शासन करने वाले से रोजगार की बात करना किसी देशद्रोह के नारे लगाने से कम नहीं है.
विकास का दावा सरकारी फाइलों में गुम
आजादी के बाद से बिहार की राजधानी ने कई पार्टियों की सरकार देखी. लेकिन पटना को बदलने का दावा सरकारी फाइलों में कहीं गुम हो गया. देश मेंं लॉक डाउन के बाद जिस तरह से हालात बने हैं. उसको देखकर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब भी लॉकडाउन खुलेगा, पटना की हालत और खराब होगी. ऐसे में यह कहा जा सकता है कि पटना जो हर बिहारी के सपनों में उम्मीदों की तस्वीर है. वहां आकर हर बिहारी का सपना एक झटके में ही चकनाचूर हो जाता है.