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अटल यादें : 'आप लोग बिहारी हैं, तो मैं अटल बिहारी हूं और मेरा लगाव बिहार से है'

बिहार को विकास की डगर पर ले जाने में अटल बिहारी वाजपेयी की भूमिका नए बिहार के निर्माणकर्ता से कम नहीं कही जा सकती. अटल बिहारी वाजपेयी ने बिहार के लिए एक नहीं कई ऐसी योजनाएं बिहार की झोली में डाली. जो आज नए बिहार को विकास की डगर पर ले जा रहा है.

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Published : Dec 25, 2020, 10:11 AM IST

पटना: 'आप बिहारी हैं, तो मैं अटल बिहारी हूं'. बिहार में ये बातें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने बिहार के प्रति अपने अगाध प्रेम को दर्शाते हुए कहा था. बिहार की गौरव गाथा हमें अपने अतीत पर इतराने का हक और सौभाग्य दोनों देती है. 25 दिसंबर 1924 को जिस अटल बिहारी का जन्म हुआ था, उस समय लोगों की उम्मीद इस बात से परे थी कि बिहार की सरजमीं पर एक दिन ये भी उद्घोष इतना बड़ा बन जाएगा कि वो शब्द भी हमारे लिए किसी कालजयी रचना से कम नहीं होगी.

पूरे देश में बीजेपी आज जिस विजय पताका को फहरा रही है, उसे इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए जिस अटल संघर्ष के लिए अटल बिहारी वाजपेयी निकले थे. उसका परिणाम है कि आज पूरे देश में बीजेपी सिद्धांतों की उस राजनीति की फसल को काट रहे हैं. जिसका बीज अटल बिहारी वाजपेयी ने बोया था. सैद्धांतिक राजनीति का एक ऐसा मसीहा, जिन्होंने बिना भेदभाव की सियासत को अपने जीवन का सिद्धांत बनाया. सबके लिए हमेशा अटल सत्य हैं.

अटल बिहारी वाजपेयी

योजनाएं जिन्हें अटल जी ने बिहार को दिया
बिहार को विकास की डगर पर ले जाने में अटल बिहारी वाजपेयी की भूमिका नए बिहार के निर्माणकर्ता से कम नहीं कही जा सकती. बिहार की झोली में जितनी चीजों को अटल बिहारी वाजपेयी ने डाला बिहार की सक्रिय राजनीति करने वाले नेताओं ने शायद ही उस स्तर पर जाकर काम किया. कांग्रेस की सियासत और विपक्ष की गोलबंदी को सियासत में नई जगह मिल रही थी. आम आदमी की जरूरत कुछ इस कदर सरकारी उदासीनता की भेंट चढ़ी कि चार कदम की दूरी भी मिलों की दूरी बन जाती थी. अटल बिहारी वाजपेयी ने बिहार के लिए एक नहीं कई ऐसी योजनाएं बिहार की झोली में डाली. जो आज नए बिहार को विकास की डगर पर ले जा रहा है. अटल बिहारी वाजपेयी ने बिहार के लिए एक नहीं कई बड़ी योजनाओं को उसकी झोली में डाला.

अटल बिहारी वाजपेयी (फाइल फोटो)

बिहार को दी कई योजनाएं:

  • मिथिलांचल का एकीकरण
    मिथिलांचल के एकीकरण का अगर सबसे बड़ा श्रेय किसी को जाता है तो वह अटल बिहारी वाजपेयी को ही जाता है. जब कोसी महासेतु को बनवा कर उन्होंने उत्तर बिहार के लिए जीवनदान दिया.
  • मैथिली भाषा को सम्मान
    मैथिली भाषा को लेकर कर्पूरी ठाकुर ने आठवीं अनुसूची में इसे शामिल करने के लिए 30 सालों तक संघर्ष किया. उसके बाद उनके सपने को साकार करने के लिए डॉ जगन्नाथ मिश्र ने बीड़ा उठाया. लेकिन कांग्रेस की सरकार होने के बाद भी उनकी नहीं सुनी गई. लेकिन बिहार से अटल स्नेह होने के कारण अटल बिहारी वाजपेयी ने साल 2003 में मैथिली भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल कर सम्मान दिया और बिहारियों की मांग अटल बिहारी ने पूरी की.
    अटल बिहारी वाजपेयी (फाइल फोटो)
  • बड़ी योजनाओं से भर दी झोली
    अटल बिहारी वाजपेयी ने एक नहीं कई बड़ी योजनाएं बिहार के खाते में डाली. बिहार से अटल बिहारी वाजपेयी का अटूट नाता ही वजह रहा कि एक नहीं कई योजनाएं एक-एक कर अटल बिहारी वाजपेयी ने बिहार के खाते में डाली. कहलगांव नबीनगर एनटीपीसी का मामला हो या फिर राजगीर में आयुध कारखाना. हरनौत में रेल कोच फैक्ट्री का मामला हो या फिर पटना में एम्स की सौगात देना और उसके निर्माण की आधारशिला रखना. यह सब कुछ अटल बिहारी वाजपेयी ने बिहार के खाते में डाली. शायद ही किसी बिहारी को इस बात की उम्मीद रही होगी कि बिहार के खाते में इतना सब कुछ कोई एक बिहारी डाल जाएगा और यह किया अटल बिहारी ने. उत्तर बिहार के लिए पटना के लाइफलाइन माने जाने वाले गांधी सेतु से जब लोगों की आवाजाही की परेशानी शुरू हुई, तो अटल बिहारी वाजपेयी ने दीघा रेल सह सड़क पुल की सौगात देकर बिहार की झोली में विकास की एक और बड़ी सौगात डाल दी.
    अटल बिहारी वाजपेयी
  • सुशील मोदी और नंदकिशोर की राजनीति
    बिहार बीजेपी के बड़े नेता सुशील मोदी और नंदकिशोर यादव को राजनीति में लाने का श्रेय भी अटल बिहारी वाजपेयी को ही जाता है. सुशील मोदी की शादी में अटल बिहारी वाजपेयी पहुंचे थे. उन्होंने मोदी को सक्रिय राजनीति में आने का निर्देश दिया था. यह बात खुद बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी मानते भी हैं.
  • बिहार के नीतीश
    बिहार में चल रही नीतीश कुमार की सरकार का सपना भी अटल बिहारी वाजपेयी ने ही देखा था. यह अलग बात है कि सियासत के बदलते पैमानों ने राजनीतिक दलों के रिश्तो में भी मिठास और खटास दोनों भरी. लेकिन यह भी सही है कि अगर पूरे भारत देश में राजनीतिक दलों के बीच गठबंधन का कोई सबसे बड़ा समझौता चला है. वह भाजपा और जदयू का था. जिसे अटल बिहारी वाजपेयी ने गठजोड़ के प्रेमसूत्र में कुछ इस तरह बांधा कि वह पूरे देश के लिए अटल कहानी लिख गया. आज भी बिहार में चल रही सरकार अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व और सिद्धांतों के उस मूल स्वरूप की चर्चा के तहत ही है. जिसमें सियासत का राजनीतिक सिद्धांत, दलों का समर्पण और मूल्यों की राजनीति हमेशा होती ही रहती है.
  • पूरा देश कर रहा नमन
    पूरा देश आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को नमन कर रहा है. कृतज्ञ राष्ट्र अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा है. अटल बिहारी वाजपेयी बिहार और बिहारियों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं और अटल बिहारी वाजपेयी की जो प्रतिमा बिहार में लगी है. वह इस बात का और सैद्धांतिक राजनीति का हमेशा प्रतिपालक रहेगा कि हर बिहारी को अटल बिहारी जो देकर गए, उस पर बिहार का इतराना और गौरवान्वित होना लाजमी है. बिहार के लिए अटल बिहारी के तमाम योगदान के लिए हर बिहारी आज उन्हें शत-शत नमन कर रहा है.

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