पटना:बिहार की सियासत में दागी नेताओं को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच हमेशा से तकरार होती रही है. लालू राबड़ी के 15 साल के राज को जंगलराज बताकर एनडीए गठबंधन सत्ता में आई. कभी शहाबुद्दीन और राजबल्लभ यादव समेत कई अन्य नेताओं को लेकर बीजेपी और जदयू के नेता राजद को कटघरे में खड़ा करते थे. अब विपक्ष सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहा है.
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विपक्ष का सरकार से सवाल
आज की तारीख में शहाबुद्दीन और राजबल्लभ जैसे नेता जेल में सजा काट रहे हैं. दूसरी तरफ राजद के नेता अब यह सवाल खड़े कर रहे हैं कि दागी नेताओं को बड़ा मुद्दा बनाने वाले एनडीए नेता अपने दागी नेताओं को गंभीर आरोपों के बावजूद बचा रहे हैं. क्या उनके दाग अच्छे हो गए?
'जब भाजपा, जदयू नेताओं पर ही गंभीर आरोप है तो उनकी गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई. सरकार अपराधियों को संरक्षण देती है तो बिहार में अपराध कैसे रुकेगा.'- तेजस्वी यादव, नेता प्रतिपक्ष
तेजस्वी यादव, नेता प्रतिपक्ष कई मामलों पर सरकार का घेराव
हाल ही में तेजस्वी यादव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान यह सवाल किया कि आखिर गोपालगंज ट्रिपल मर्डर कांड से लेकर मुजफ्फरपुर शराब कांड और हाल में मधुबनी में 5 लोगों की हत्या मामले में दागियों को क्यों बचाया जा रहा है?
'मधुबनी में 5 लोगों की हत्या के मामले में पूर्व मंत्री विनोद नारायण झा कटघरे में हैं लेकिन पूरा महकमा उन्हें बचाने में लगा है.'- सुनील कुमार सिंह, राजद एमएलसी
सुनील कुमार सिंह, राजद एमएलसी 'एनडीए गठबंधन के 50% से ज्यादा विधायक आरोपित'
राष्ट्रीय जनता दल का आरोप है कि वर्तमान एनडीए गठबंधन के 50% से ज्यादा विधायक किसी न किसी गंभीर मामले के आरोपित हैं लेकिन क्योंकि वे एनडीए में हैं तो उनके दाग धुल गए. इस बारे में राजनीतिक विश्लेषक संजय कुमार कहते हैं कि सवाल तो उठेंगे जब आप दूसरों पर आरोप लगाएंगे तो आपको भी जवाब देने के लिए तैयार रहना चाहिए.
'वर्तमान सरकार में अपराध में संलग्न किसी भी व्यक्ति को बचाया नहीं जाता. अब लालू राबड़ी शासनकाल वाली बात नहीं है, जब सीएम हाउस से ही अपराध राज चलता था. अगर विधायक मंत्री या नेता अपराध में संलग्न होगा तो उसकी गिरफ्तारी अवश्य होगी.'- अखिलेश सिंह, भाजपा नेता
दाग मिटाना है जरूरी
बिहार की सियासत में दागी नेताओं को लेकर हमेशा से गंभीर सवाल उठते रहे हैं. लालू राबड़ी काल में शहाबुद्दीन और राजबल्लभ यादव समेत राबड़ी देवी के रिश्तेदारों को लेकर भी भाजपा और जदयू सवाल उठाते थे. आज कुछ ऐसा ही सवाल उनके बड़े नेताओं पर उठ रहा है, तो ये दाग अच्छे हैं क्या!