पटना: बिहार के चुनावी साल में दलित आरक्षण को लेकर सियासत चरम पर पहुंच गई है. एक तरफ बीजेपी-जदयू समेत अन्य दलों के दलित विधायक बारी-बारी से बैठक कर रहे हैं. दूसरी तरफ राजद के विधायकों ने अलग से मोर्चा संभाल लिया है. शुक्रवार को राजद के प्रदेश कार्यालय में एक दलित विधायकों ने बैठक की. जिसमें अनुसूचित जाति जनजाति विधानमंडल आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति का गठन राजद के दलित नेताओं ने किया.
बिहार में गरमाई दलितों की सियासत, राजद विधायकों ने बनाई आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति
बिहार विधानसभा चुनाव को सियासत सातवें आसमान पर है. लगातार आरक्षण मुद्दे को लेकर दलित विधायकों की बैठक हो रही है. इसको लेकर शुक्रवार को राजद के दलित विधायकों ने बैठक की.
बिहार के पूर्व मंत्री और राजद के विधायक शिवचंद्र राम ने कहा कि देश में आरक्षण खतरे में है. हम आरक्षण बचाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं. इसको लेकर राजद के विधायकों ने अनुसूचित जाति जनजाति विधानमंडल आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति का गठन किया है. उन्होंने कहा कि तमाम अन्य दलों के नेता अपनी पार्टी को रिजाइन करके इस समिति का हिस्सा बन सकते हैं. शिवचंद्र राम ने आगे कहा कि हम सबसे पहले बिहार सरकार के सामने आरक्षण और दलितों के आरक्षण से जुड़े अन्य मुद्दों को लेकर अपनी मांगे रखेंगे.
'आरक्षण खत्म करने की हो री कोशिश'
बिहार में क्या दलित विधायक अलग-अलग बटने के सवाल पर शिवचंद्र राम ने कहा कि जो लोग जदयू और बीजेपी से जुड़े हैं, उन लोगों ने ही आरक्षण को खत्म करने की साजिश की है. ऐसे लोगों के साथ रहकर आरक्षण बचाने का संघर्ष सफल नहीं हो सकता. उन्होंने आगे कहा कि यही वजह है कि हमने अलग से समिति बनाई है. इसमें विपक्ष के तमाम दलित नेताओं को शामिल किया जाएगा. बता दें कि राजद के दलित विधायकों में शिवचंद्र राम के अलावा रामविलास पासवान, स्वीटी सीमा, समता देवी, राजेंद्र राम, लालबाबू राम, मुनेश्वर चौधरी, रेखा देवी, उपेंद्र पासवान, चंदन कुमार और सूबेदार राम मौजूद थे.