पटना: प्रदेश के एक गांव के विद्यालय से रिटायर होने के बाद भी शिक्षक रामप्रवेश सिंह शिक्षा व्य्वस्था में अपना योगदान दे रहे हैं. जहां कोई भी रिटायर होने के बाद आराम करना चाहता है. वहीं 2013 में ही रिटायर होने के बाद भी शिक्षक रामप्रवेश सिंह बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान कर रहे हैं. रामप्रवेश सिंह को चलने में तकलीफ है फिर भी वो रोजाना लाठी के सहारे स्कूल तक आना नहीं भूलते.
जहां से हुए रिटायर वहीं आज देते हैं निशुल्क शिक्षा 'उम्र केवल एक अंक है और कुछ नहीं'
दरअसल, प्रदेश के मसौढ़ी के तेतरी गांव निवासी रामप्रवेश सिंह की सारी उम्र शिक्षा देने में बीत गई. जहां लोग 60 के बाद थक जाते हैं, वहीं शिक्षक रामप्रवेश सिंह स्कूल जाकर पढ़ाने का काम करते हैं. ऐसा नहीं है कि वो रिटायर नहीं हुए. रामप्रवेश सिंह 2013 में ही रिटायर हो चुके हैं. लेकिन फिर भी वो आज भी पढ़ा रहे हैं.
विकलांग होने के बाद भी पैदल चलकर जाते हैं स्कूल मन में इच्छाशक्ति हो तो मनुष्य क्या नहीं कर सकता पढ़ाने में खुशी मिलती है- रामप्रवेश सिंह
रामप्रवेश सिंह बच्चों को पढ़ाने के लिए एक भी पैसा नहीं लेते हैं. जहां शिक्षकों पर आए दिन सवाल होते रहते हैं. वहीं शिक्षक रामप्रवेश सिंह सभी शिक्षकों के लिए मिसाल हैं. रामप्रवेश सिंह ठीक से चल भी नहीं पाते. लेकिन जज्बा इतना है कि हर रोज लाठी के सहारे ही स्कूल में चले आते हैं. वहीं बच्चे भी उनकी पढ़ाने के कला से बहुत खुश रहते हैं. उनको भी अपने इस शिक्षक के पास पढ़ना बहुत ही अच्छा लगता है. इस बारे में रामप्रवेश सिंह बताते हैं कि मैं अपने घर में भी बच्चों को मुफ्त शिक्षा देता हूं. जब मैंने सोचा कि क्यों ना अपने पुराने स्कूल में जाकर शिक्षा दूं. इसके लिए मैंने विद्यालय के प्राचार्य से बात की और वे मान गए. मुझे पढ़ाने में जितनी खुशी मिलती है उतनी खुशी किसी चीज में नहीं मिलती.
बच्चों को पढ़ने में आता है मजा 'मन में हो जज्बा तो कुछ भी किया जा सकता है'
स्कूल के प्रधानाचार्य ने बताया कि स्कूल का प्रभार संभालने से पहले वो उनके जूनियर शिक्षक हुआ करते थे. रिटायर होने के बाद जब रामप्रवेश सिंह ने उनसे स्कूल में पहले की भांति आकर बच्चों को निशुल्क पढ़ाने की बात कही तो उन्होंने खुशी- खुशी इसकी अनुमति दे दी. आपको बता दें कि रामप्रवेश सिंह के पढ़ाये हुए कई बच्चे आज सरकारी महकमे में कार्यरत हैं और देश की सेवा कर रहे हैं.
विकलांग होने के बाद भी पैदल चलकर जाते हैं स्कूल