पटना: शहर के कुल छह धोबी घाटों का जीर्णोद्धार (Renovation Work) का काम नहीं हो पाने की वजह से जर्जर हो गया है. जिसको लेकर पटना नगर निगम (Patna Municipal Corporation) ने साल 2018 में स्टैंडिंग कमिटी से 99 लाख 40 हजार 599 रुपये की मंजूरी दी थी. घाटों का जर्जर अवस्था देखकर धोबी समाज के लोगों की चिंता बढ़ गई है. वहीं, धोबी समाज के लोगों का कहना है कि घाटों का मरम्मती का कार्य को लेकर कितने बार निगम कार्यालय का चक्कर लगा चुके हैं. लेकिन निगम प्रशासन की तरफ से कोई एक्शन नहीं लिया गया.
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खास बात यह है कि इस योजना में से लगभग 40% यानी 40 लाख रुपये का आवंटन की स्वीकृति भी दे दी गई थी. लेकिन आज तक इन सभी धोबी घाटों का जीर्णोद्धार का कार्य नहीं हो सका. दूसरे का कपड़ा धोकर जीविका उपार्जन करने वाले धोबी समाज की जनसंख्या पटना में लगभग 10 हजार से अधिक है. सभी लोग अपने परिवार का भरण पोषण के लिए इन घाटों पर ही आश्रित हैं. लेकिन आज तक इन घाटों पर मरम्मती का कार्य नहीं किया जा सका.
पटना नगर निगम 2018 में योजना की स्वीकृति दी गई. इस योजना की जानकारी को लेकर ईटीवी भारत की टीम धोबी घाटों का पड़ताल किया. जहां सबसे पहले बेली रोड स्थित हड़ताली मोड़ के पास लंबे समय से बने धोबी घाट का जायजा लिया. जहां पर धोबी घाटों का जर्जर अवस्था में पहुंच गया है. यहां पर ना तो पानी की सुविधा है. ना ही कपड़े धोने के लिए जगह.
वहीं, धोबी समाज के लोगों का कहना है कि लालू प्रसाद यादव के कार्यकाल में जो इस घाट का जीर्णोद्धार का कार्य हुआ था. अब तक चलता आ रहा है. अब इन घाटों का हाल जर्जर हो चुका है. जिसकी वजह से अब काम करने में भी परेशानी होती है.
यहां काम कर रही महिलाओं ने बताया कि जब भी बरसात होती है. इस घाट पर जल जमाव की स्थिति हो जाती है. कपड़े सुखाने में भी काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. घाट की मरम्मती को लेकर हम लोगों ने कितनी बार नगर निगम और स्थानीय विधायक को पत्र लिखा है. लेकिन अभी तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई.
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बता दें कि पटना नगर निगम क्षेत्र में कुल छह धोबी घाट हैं. जिसका रेनोवेट के कार्य को लेकर निगम प्रशासन ने 2018 में योजना बनाई थी. योजना आज तक धरातल पर नहीं उतर सकी. इन घाटों के लिए अलग-अलग राशि भी तय की गई थी. जिसमें से 40% राशि आवंटित भी कर दी गई. लेकिन आज तक कार्य नहीं हो पाए.
जबकि हड़ताली मोड़ के पास बने धोबी घाट के रेनोवेट को लेकर 10, 76, 499 रुपये निगम प्रशासन के स्टैंडिंग कमेटी से स्वीकृति दी गई थी. जिसमें से 4, 30, 600 रुपए आवंटित भी की गई. इन पैसों से धोबी घाट का मरम्मती कार्य करना था. साथ ही चारदीवारी का निर्माण भी करना था. लेकिन चारदीवारी तो छोड़ यहां पर कपड़े धोने के लिए पानी की भी व्यवस्था सही ढंग से नहीं की गई है.
चितकोहरा पुल के पास बने धोबी घाट इस घाट को रेनोवेट को लेकर निगम प्रशासन के तरफ से 27, 23, 800 रुपए की स्वीकृति निगम बोर्ड से मिली थी. इसमें से 10,89,520 रुपए आवंटित भी की गई. लेकिन आज तक इस घाट पर भी कोई कार्य नहीं हो सका. यहां के धोबियों का हाल भी बेहाल है.
वहीं, वार्ड संख्या 40 रामपुर का धोबी घाट का हाल भी बेहाल है. इस घाट की मरम्मत को लेकर निगम प्रशासन के तरफ से पैसे की स्वीकृति मिली थी. लेकिन यहां पर भी कोई कार्य नहीं हो सके. इसके अलावा 2 घाट और हैं, उन घाटों का भी रेनोवेट को लेकर निगम प्रशासन की तरफ से बात कही गई थी. लेकिन तीन साल बीत जाने के बाद भी अभी तक किसी भी घाट का काम नहीं हो सका है.