पटना: राजधानी के राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज ने 93 साल पूरे कर लिए हैं. बिहार के इस एकमात्र आयुर्वेदिक कॉलेज की स्थापना 26 जुलाई 1946 को हुई थी. स्थापना दिवस के मौके पर आयुर्वेद कॉलेज ने एक विशेष पहल शुरु करने की ठानी है. इस दिन बच्चों को स्वर्णप्राशन यानी एक विशेष प्रकार का आयुर्वेदिक टीका दिया जाएगा. इससे बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है, जिससे वे संक्रामक बीमारियों से लड़ने में कामयाब होंगे.
राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज परिसर 3 दिनों तक चलेगा स्थापना दिवस समारोह
93वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में देशभर के आयुर्वेद विशेषज्ञ भाग लेंगे. स्थापना दिवस समारोह 3 दिनों तक चलेगा. कॉलेज के प्राचार्य डॉ दिनेश्वर प्रसाद ने कहा कि स्वर्णप्राशन टीके के माध्यम से बच्चों को कई बीमारियों से बचाया जा सकता है. जन्म के बाद से लेकर 14 साल तक के बच्चों को इसका डोज दिया जाता है.
बच्चों को दिया जाएगा 'स्वर्णप्राशन' टीका
प्राचार्य ने बताया कि 'स्वर्णप्राशन' टीके की विशेषता यह है कि इसमे सोने की भरपूर मात्रा होती है. इस कारण इसे स्वर्णप्राशन नाम दिया गया है. इस टीके की खोज आचार्य कश्यप ने की थी. कश्यप संहिता में इसका विशेष रूप से उल्लेख किया गया है. उन्होंने बताया कि कई आयुर्वेद चिकित्सा प्रणाली के ग्रंथों में स्वर्ण भस्म देने की भी बात कही गई है. स्वर्ण भस्म से बच्चों का बौद्धिक विकास होता है.
पटना राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज के 93 साल पूरे. जुटेंगें देशभर के आयुर्वेद विशेषज्ञ
आयुर्वेद कॉलेज की स्थापना दिवस के तीन दिवसीय कार्यक्रम में पहले दिन पूर्ववर्ती छात्रों का सम्मेलन होगा. वहीं दूसरे दिन सेमिनार का आयोजन किया गया है. सेमिनार में बच्चों पर होने वाले विभिन्न तरह के जापानी इंसेफेलाइटिस, चमकी बुखार, डेंगू पर चर्चा की जाएगी. तीसरे दिन देशभर के आयुर्वेद विशेषज्ञ एवं वैज्ञानिक के कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे .