राष्ट्रगीत नहीं गाये जाने के मामले पर सियासत पटना:बिहार विधानसभा के बजट सत्र (Budget Session of Bihar Assembly) के अंतिम दिन राष्ट्रगीत और बिहार गीत को लेकर सियासत शुरू हो गई है. विधानसभा के समापन समारोह में राष्ट्रगीत के जगह बिहार गीत गाया. जिसको लेकर पक्ष और विपक्ष के नेता आमने-सामने आ गए हैं. बजट सत्र का समापन तो हो गया. सत्र काफी हंगामेदार रहा, लेकिन बजट सत्र के दौरान कई अभूतपूर्व घटनाएं हुई.
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बिहार गीत पर सियासत: आमतौर पर सत्र के अंतिम दिन राष्ट्रगीत गाया जाता था और उसी के साथ सत्र का समापन होता था. लेकिन इस बार राष्ट्रगान के बजाय बिहार गीत गाया गया. तमाम सदस्यों ने बिहार गीत का इस्तकबाल किया. लेकिन राष्ट्रगीत नहीं गाए जाने पर बीजेपी विधायकों ने नाराजगी जाहिर की है. बिहार गीत गायन के ठीक बाद अध्यक्ष समेत तमाम महागठबंधन के नेता सदन से निकल गए, लेकिन बीजेपी नेताओं ने वंदे मातरम गीत का गायन किया और महागठबंधन पर गंभीर आरोप भी लगाए.
विपक्ष ने लगाए सत्ता पक्ष पर आरोप: पूर्व मंत्री जीवेश मिश्रा ने कहा कि महागठबंधन के लोग राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत का अपमान कर रहे हैं. बिहार गीत से हमें कोई नाराजगी नहीं है. लेकिन राष्ट्रगान को हाटकर बिहार गीत के साथ समापन सही नहीं था. बिहार गीत में मिथिला क्षेत्र के 18 जिलों को जगह नहीं दी गई. ऐसा लगता है कि बिहार गीत नालंदा गीत की तरह है. उसी में पूरे बिहार को ना समेटा गया हो, उसे हम बिहार गीत नहीं मानते हैं.
"राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत का हम सब सम्मान करते हैं. बिहार गीत इसलिए जरूरी था कि बिहारी अस्मिता का बोध होता है. बीजेपी के लोग बेजा राजनीति करते हैं. बीजेपी को हम लोग इन्हीं कारणों से बड़का झूठा पार्टी कहते हैं."- भाई बिरेंद्र, प्रवक्ता, आरजेडी
"भाजपा के लोगों को गांधी जी और उनके द्वारा किए गए कार्यों पर भी ऐतराज है. बिहार गीत से बिहार का एहसास होता है. भाजपा के लोग अनावश्यक राजनीति करते हैं. राष्ट्रगान और राष्ट्रगीत का हम लोग भी सम्मान करते हैं."- श्रवण कुमार, मंत्री, बिहार सरकार