पटना:आए दिन विश्वविद्यालयों से छात्रों की सुविधाओं में कमी की शिकायतें सामने आती रहती है. ताजा मामला पटना वेलफेयर हॉस्टल का है, जो इन दिनों सरकारी उदासीनता का दंश झेल रहा है. छात्रों का आरोप है कि यहां घोर कुव्यवस्था फैली हुई है, सरकारी सुविधाओं में कटौती और घटिया खाना मिलने से वो परेशान हैं.
कभी इसी छात्रावास में रहकर रामविलास पासवान और डीआईजी आलोक कुमार ने पढ़ाई की थी.
बद से बदतर होते जा रहे हैं हालात
अनुसूचित जाति, जनजाति पिछड़ा, अति पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक कल्याण छात्रावास में रहने वाले इन विद्यार्थी के लिए चल रही कल्याणकारी योजनाओं पर कुव्यवस्था का कब्जा है. अधिकारियों का रवैया इनके प्रति बेहद लचर है. छात्रों का आरोप है कि सरकारी योजनाओं से मिलने वाली सुविधाओं में कटौती की जा रही है. छात्रों ने बताया कि पूरी बिल्डिंग जर्जर अवस्था में है. बिजली के वायरिंग से रोजाना हादसा होनी की आशंका बनी रहती है.
हॉस्टल की बदहाली की कथा सुनाते छात्र जिले के सभी 9 छात्रावासों की स्थिति दयनीय
गौरतलब है कि जिले में 9 छात्रावास हैं जो कल्याण विभाग की देखरेख में चलते हैं. अनुसूचित जाति के छात्रावास महेंद्रु, सैदपुर, ढोलवां, गोसाई, बाढ़ और कंकड़बाग में है. इसके अलावा मगध महिला और बांकीपुर गर्ल्स स्कूल के छात्रावास भी कल्याण विभाग द्वारा चलाए जाते हैं. पिछड़े वर्ग के लिए भी एक छात्रावास है. सरकार ने छात्रावास में रहने वाले छात्रों के लिए मुफ्त अनाज वितरण की योजना शुरु की थी. जुलाई 2018 से हर माह प्रति छात्र 9 किलो चावल और 6 किलो गेहूं दिया जाता रहा है. तेल, सब्जी व अन्य खाद सामग्री के लिए ₹1000 भी दिए जाने की योजना है.
एक कमरे में रहने को मजबूर हैं 7 से 8 छात्र
भारतीय छात्र कल्याण संघ के अध्यक्ष अमर आजाद का कहना है कि जो अनाज दिया जा रहा है वह खराब होता है. राजकीय कल्याण छात्रावास में रहने वाले छात्रों ने बताया कि पूरी बिल्डिंग जर्जर हो चुकी है. साथ ही पानी की व्यवस्था भी ठीक नहीं है. हर तरफ कुव्यवस्था का आलम है. विभाग की उदासीनता के कारण छात्र यहां किसी तरह रहने को विवश हैं. एक रूम में 7 से 8 छात्र रह रहे हैं.
बीमारी का घर बन गया है यह हॉस्टल
छात्रावास में बदहाली को लेकर कई बार छात्र डेंगू का शिकार हो चुके हैं. साफ-सफाई और कई समस्याओं से घिरे छात्रों ने कई बार विभाग को इस बाबत पत्र लिखा. लेकिन, अबतक किसी अधिकारी ने सुध नहीं ली है.