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असाध्य रोगों को जड़ से खत्म करने का रामबाण इलाज है पंचकर्म प्रक्रिया, पढ़ें पूरी जानकारी

पंचकर्म चिकित्सा में पांच प्रक्रियाएं होती है. जिसके तहच वमन, विरेचन, नस्य, रक्तमोक्षन और अनुवासना स्वस्ति का संयोजन पंचकर्म कहलाता है. इन पांचों का उद्देश्य शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालना और स्वस्थ, संतुलित बनाना होता है.

आयुर्वेदिक राजकीय अस्पताल

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Published : Sep 1, 2019, 6:17 PM IST

पटना: 'पंचकर्म' आयुर्वेद में असाध्य रोगों को जड़ से खत्म करने के लिए संजीवनी माना जाता है. वैदिक काल में इस्तेमाल किए जाने वाले इस चिकित्सीय पद्धति का प्रचलन एकबार फिर जोरों पर है. राजधानी के लिए अंग्रेजी दवाईयों और होमियोपैथिक से दूर हटकर एकबार फिर आयुर्वेद को तरजीह दे रहे हैं. पटना के मरीज इस पद्धति की ओर खासे आकर्षित दिखाई दे रहे हैं.

ईटीवी भारत संवाददाता की खास रिपोर्ट

पंचकर्म प्रक्रिया शरीर से विषैले तत्व को बाहर करने की आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली है. पंचकर्म चिकित्सा में पांच प्रक्रियाएं होती है. जिसके तहच वमन, विरेचन, नस्य, रक्तमोक्षन और अनुवासना स्वस्ति का संयोजन पंचकर्म कहलाता है. इन पांचों का उद्देश्य शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालना और स्वस्थ, संतुलित बनाना होता है.

तनाव के कारण शरीर होता है बीमार
पटना स्थित आयुर्वेदिक राजकीय अस्पताल में इन दिनों पंचकर्म कराने के लिए मरीजों की होड़ लगी हुई है. आयुर्वेद के प्रति लोगों का रुझान इस कदर बढ़ते हुए देखा जा रहा है कि अब पंचकर्म के लिए रोजाना लोगों का रजिस्ट्रेशन हो रहा है. गौरतलब है कि आयुर्वेद विज्ञान इस बात का संकेत देता है कि अधिक तनाव आंतों की नली के लिए बहुत ही अधिक नुकसानदायक होता है.

आयुर्वेद तरीके से इलाज करते डॉक्टर

अपशिष्ट जमा होने से पनपती है बिमारियां
आयुर्वेद के अनुसार आंत की नली में असंतुलन की वजह से सूजन होता है और पाचन क्रिया भी प्रभावित होती है. सूजन और पाचन क्रिया सही नहीं होने की वजह से शरीर में अपशिष्ट पदार्थ से जमा होने लगते हैं. जिससे शरीर बीमारियों का शिकार बन जाता है. इसके साथ-साथ कई प्रकार की बीमारियां भी जन्म लेती हैं.

विशेष औषधियों का होता है इस्तेमाल

पाचन क्रिया मजबूत होने से उर्जावान होता है शरीर
पंचकर्म के माध्यम से शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकाला जाता है. इससे शरीर अधिक सक्रिय हो जाता है. पंचकर्म से पाचन क्रिया को मजबूत बनाकर ऊर्जावान बनाया जाता है. पंचकर्म आयुर्वेदिक प्रक्रिया के माध्यम से शरीर के कई अंग जैसे फेफड़े, पसीने की ग्रंथि, पेट और मुहं से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाला जाता है.

मरीजों ने बताया रामबाण

यह है पूरी पद्धति:
ऑयलेशन यानी शरीर में तेल लगाने और फॉर्मेंटेशन यानी शरीर से पसीना निकालने से शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं. उसके बाद सही मायनों में पंचकर्म इलाज शुरू होता है. इस इलाज में मरीज को तकरीबन एक महीने का समय लगता है.

पंचकर्म करते विशेषज्ञ
  • पहले मरीज को उल्टी कराया जाता है. ताकि हानिकारक तत्व बाहर निकलें.
  • उसके बाद विरेचन होता है. विरेचन यानी मल त्याग की प्रक्रिया है. विरेचन प्रक्रिया में जड़ी-बूटी खिलाई जाती है, जो विषाक्त पदार्थों से बाहर निकालने के काम करते हैं.
  • उसके बाद सिर और कंधों पर हल्की मालिश की जाती है. साथ ही नाक में एक ड्राप्स डाला जाता है.
  • फिर अनुवासना की विधि होती है. जिसमें तेल दूध और घी जैसे तरल पदार्थों को आपके मलाशय में पहुंचाया जाता है.
    प्रोफेसर ने दी जानकारी

पंचकर्म के फायदे:

  • इससे शरीर और दिमाग से विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं
  • पंचकर्म आपके स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है
  • इससे आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाता है
  • पंचकर्म आप की बढ़ती उम्र को रोकता है
  • पंचकर्म आपके शरीर को आराम पहुंचाता है
  • पंचकर्म से आपके शरीर को पूरी तरह से शुद्ध करता है
  • पंचकर्म पाचन क्रिया को मजबूत बनाता है
  • यह वजन कम करने में मदद करता है

सावधानियां:
इस दौरान केवल गर्म पानी पिए, गर्म पानी से नहाए और अन्य काम के लिए भी गर्म पानी का इस्तेमाल करना चाहिए. पंचकर्म के दौरान दिन में नहीं सोना चाहिए. पंचकर्म के दौरान अधिक तापमान से बचना चाहिए. पंचकर्म के दौरान देर रात तक नहीं जागना चाहिए. पंचकर्म के दौरान मुश्किल से पचने वाले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए. अधिक तनाव नहीं लेना चाहिए.

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