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न्यायालय की अवमानना मामले में पटना हाईकोर्ट में सुनवाई, कोर्ट ने दिए ये आदेश

स्कूल के प्रिंसिपल का कहना था कि वे एक कम वेतन पाने वाले कर्मी हैं और प्रबंधन के ऊपर मेरा नियंत्रण नहीं है. प्रबंधन कमेटी के सदस्य भी नहीं हैं. स्कूल को 120 विद्यार्थियों को नामांकन लेने की स्वीकृति दी गई थी, जबकि स्कूल ने 2057 विद्यार्थियों को परीक्षा में बैठाया था.

Patna High Court
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Published : Feb 24, 2022, 1:01 PM IST

पटना: कोर्ट के अवमानना मामले में स्कूल के प्रिंसिपल को कड़ी फटकार लगाते हुए पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने स्कूल प्रबंधन को पूरा ब्यौरा अगली सुनवाई में पेश करने का आदेश दिया. गया के डेल्हा स्थित आइडियल हायर सेकंडरी पब्लिक स्कूल द्वारा स्वीकृत क्षमता से अधिक विद्यार्थियों को अपने स्कूल से परीक्षा में बैठाने के मामले में कोर्ट ने स्कूल के प्रबंधन कमेटी को हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है.


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जस्टिस चक्रधारी शरण सिंह ने सुषमा कुमारी द्वारा दायर रिट याचिका में पारित आदेश का अनुपालन नहीं किये जाने को लेकर स्कूल के प्रिंसिपल शक्ति कुमार के विरुद्ध स्वतः अवमानना वाद किया. कोर्ट ने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा संचालित वार्षिक परीक्षा, 2016 में उपस्थित हुए याचिकाकर्ताओं समेत इस तरह के कुल 2057 विद्यार्थियों को 20 हज़ार रुपये क्षतिपूर्ति के तौर पर देने का आदेश स्कूल को दिया था.

कोर्ट ने आदेश की तिथि से तीन महीने के भीतर क्षतिपूर्ति भुगतान का आदेश दिया. कोर्ट ने समिति के अध्यक्ष को भी आदेश की तिथि से तीन महीने के भीतर परीक्षा शुल्क वापस करने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने भी सही ठहराया. इसके बावजूद कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया गया.

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कोर्ट ने 23 फरवरी 2022 को स्कूल के प्रिंसिपल को उपस्थित रहने को कहा था. सुनवाई के वक्त प्रिंसिपल कोर्ट में मौजूद थे. स्कूल के प्रिंसिपल का कहना था कि वे एक कम वेतन पाने वाले कर्मी हैं और प्रबंधन के ऊपर मेरा नियंत्रण नहीं है. प्रबंधन कमेटी के सदस्य भी नहीं हैं. स्कूल को 120 विद्यार्थियों को नामांकन लेने की स्वीकृति दी गई थी, जबकि स्कूल ने 2057 विद्यार्थियों को परीक्षा में बैठाया था.

स्कूल प्रिंसिपल की ओर से कोर्ट में पेश पक्ष करते हुए वरीय अधिवक्ता योगेश चंद्र वर्मा ने बताया कि विद्यार्थियों का रिजल्ट घोषित कर दिया गया था, लेकिन बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड द्वारा मार्कशीट नहीं दिया गया था. स्कूल बोर्ड से एफिलिएटेड था. वर्मा ने यह भी कहा कि जानबूझकर कोर्ट के आदेश का उल्लंघन नहीं किया गया है और स्कूल के पास अपनी कोई संपत्ति भी नहीं है. इसलिए सजा नहीं दी जाए. इस मामले पर कोर्ट आगे भी सुनवाई करेगा.

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