पटना:मधुबनी नरसंहार मामले में सुशील मोदी ने नया खुलासा किया है. उनका आरोप है कि मधुबनी नरसंहार मामले का मास्टरमाइंड राजेश यादव तेजस्वी यादव के संपर्क का है. सुशील मोदी के इस आरोप पर विपक्ष ने जमकर निशाना साधा है. विपक्षी पार्टी के नेता ने कहा कि सुशील मोदी खुद आरोपितों को अब बचाने में लग गए हैं. इसलिए अनर्गल बयान बाजी कर रहे हैं.
राजेश राठौर, कांग्रेस प्रवक्ता सुशील मोदी द्वारा मधुबनी नरसंहार में नए मामले के खुलासे को लेकर विपक्ष पूरी तरह से बीजेपी पर हमलावर हो गया है. आरजेडी नेता भाई बीरेंद्र ने सुशील मोदी के आरोप पर पलटवार करते हुए कहा है कि सुशील मोदी आजकल डिप्रेशन में चल रहे हैं. डिप्रेशन में चले जाने वाले इंसान इस तरह के बयान देते रहते हैं. अब वह बिहार की राजनीति में हाशिए पर चले गए हैं. इसलिए राजनीति में बने रहने के लिए इस तरह का वह बयान दे रहे हैं.
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'जब पीड़ित परिवार ही आरोप लगा रहा है कि स्थानीय विधायक औररावण सेना के संरक्षक के अधीन ही नरसंहार हुआ है. तो अब वो इस तरह के बयान देकर मुद्दे को डाइवर्ट करने की कोशिश में लगे हैं. क्या सुशील मोदी पीड़ित परिवार को न्याय दिलाना नहीं चाहते हैं, जो इस तरह का बयान बाजी करके मुद्दे को भटकाने में लगे हैं: भाई बीरेंद्र, आरजेडी विधायक
वहीं, सुशील मोदी के आरोप पर कांग्रेस ने भी पलटवार किया है. कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौर ने सुशील मोदी पर चुटकी लेते हुए कहा है कि क्या अब सुशील मोदी उप मुख्यमंत्री से हटते ही सीबीआई ईडी का कार्यभार संभाल लिया है? जो इस तरह के खुलासे कर रहे हैं. जब पीड़ित परिवार ही कह रहा है की बीजेपी विधायक के संरक्षक में ही हत्या हुई है. तो इससे साफ हो गया है कि सुशील मोदी अब आरोपियों को बचाने में लगे हुए हैं.
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क्या है मधुबनी हत्याकांड?
गौरतलब है कि होली के दिन महमदपुर गांव में 5 लोगों की निर्मम हत्या कर दी गई थी. मरनेवालों में तीन सहोदर भाई और बाकी चचेरे भाई हैं. आरोप है कि आधे घंटे तक अपराधी महमदपुर गांव में तांडव मचाते रहे और पुलिस घटना के 3 घंटे बाद मौके पर पहुंची. बताया जाता है कि पूरा विवाद पोखर और उसमें पल रही मछलियों पर कब्जे को लेकर है. हालांकि 6 महीने तक मामला शांत रहा, लेकिन होली से एक दिन पहले विवादित पोखर से संजय सिंह के परिवार से जुड़े लोगों ने मछली पकड़ा और फायरिंग भी की थी. बताया जाता है कि प्रवीण झा और उसके अन्य सहयोगी इस घटना को 'आन' पर ले लिया, जो होली के दिन 'रक्त चरित्र' में बदल गया.