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नीतीश कुमार का मुकाबला नीतीश कुमार से ही तो नहीं..?

बिहार में पलायन और बेरोजगारी की समस्या दूर होने का नाम ही नहीं ले रही है. ऐसे में नीतीश कुमार जब सत्ता में आए, तो लोगों ने उनसे बहुत उम्मीदें लगाईं. आखिर बात बिहार के विकास की थीं. उस समय काम भी हुए. लेकिन आज...

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Published : Oct 27, 2020, 2:01 PM IST

पटना: नीतीश कुमार बहुत हद तक अपनी ही इमेज में कैद हो गए हैं इसलिए आज जब वह विकास की बात करते हैं, तो उनसे यह पूछा जाता है कि बिहार में उद्योग क्यों नहीं आ रहा है?

बिहार में निवेश क्यों नहीं हो रहा है?
बिहार से लोगों को पढ़ने के लिए दूसरे प्रदेशों में क्यों जाना पड़ता है? बिहार के लोग पंजाब और मुंबई में काम कर सकते हैं तो उनके लिए यही व्यवस्था बिहार में क्यों नहीं की जा सकती है. आज के युवाओं को यह बात गले नहीं उतर रही है कि बिहार एक लैंड लॉक्ड स्टेट है इसलिए यहां उद्योग नहीं लग सकते.

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यह इसलिए भी है कि लोग अब की नीतीश की तुलना 2005 के नीतीश से करने लग जाते हैं, जिन्होंने उम्मीद जगाई थी. जिन्होंने यह बताया था कि उनकी सरकार के आने से रोज़गार बढ़ेंगे. लोगों को काम मिलेगा. यहीं नहीं, विपक्षी पार्टियां भी रिफरेन्स के तौर पर नीतीश को ही एक मानक मानती हैं.

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