पटना:राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के प्रवक्ता चंदन सिंह ने कहा है की नीति आयोग की बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री का भाग नहीं लेना ये बताता है कि अब मुख्यमंत्री को बिहार के विकास से कोई लेना देना नहीं है. नीतीश कुमार विकास की जो बात करते थे, उसको लेकर आज वो उदासीन हो गए हैं. जब से इन्होंने प्रधानमंत्री बनने का सपना देखना शुरू किया है तब से बिहार के विकास को लेकर पूरी तरह उदासीन हो गए हैं.
NITI Aayog Meeting: 'सीएम नीतीश बिहार के विकास के प्रति उदासीन', RLJP ने साधा निशाना
सीएम नीतीश कुमार ने लगातार दूसरे साल दिल्ली में होने वाली नीति आयोग की बैठक से दूरी बना ली है. इसको लेकर पशुपति पारस की पार्टी आरएलजेपी ने सीएम पर निशाना साधा है और कहा कि सीएम को बिहार के विकास से कोई मतलब नहीं है. एनडीए से अलग होने के बाद पीएम का ही नहीं बल्कि उनके द्वारा चलाए जा रहे विकास योजनाओं का भी विरोध कर रहे हैं.
'सीएम नीतीश को मोदी सरकार की नीति अच्छी नहीं लगती': चंदन सिंह ने कहा कि नीति आयोग की बैठक में अगर किसी राज्य के मुख्यमंत्री भाग लेते हैं तो इससे राज्य को फायदा होता है. केंद्र सरकार उनकी बातों को सुनती है और राज्य को आर्थिक सहायता भी करती है. लेकिन मुख्यमंत्री जबसे एनडीए से अलग हुए है वो लगातार प्रधानमंत्री का ही नहीं उनके द्वारा चलाए जा रहे विकास कार्यों का भी विरोध कर रहे हैं, जो कहीं से भी उचित नहीं है. चंदन सिंह ने कहा की अब मुख्यमंत्री को एनआरसी, धारा 370 जैसे मुद्दे भी ठीक नहीं लगते हैं. जब साथ थे तो मोदी सरकार की नीति उन्हे अच्छी लगती थी, अब सब कुछ खराब लग रहा है.
"पीएम का विरोध करना, एक राजनीतिक बात हो सकती है लेकिन विकास कार्य के लिए जो नीति पूरे देश में बनाई जाती है, उसका विरोध कर कहीं ना कहीं नीतीश कुमार बिहार के विकास में बाधा उत्पन्न करने का काम कर रहे हैं. बिहार के लिए केंद्र सरकार की जो योजना आती है मुख्यमंत्री उसे नकार देते हैं. केंद्र सरकार जो काम यहां करवाना चाहती है उसका वो विरोध करते हैं. केंद्र की योजना को ठीक ढंग से लागू भी नहीं होने देते हैं. अब आप समझिए मुख्यमंत्री बिहार के विकास के लिए कितने एक्टिव हैं."-चंदन सिंह प्रवक्ता राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी
सीएम ने कही ये बात: जब सीएम नीतीश कुमार से पूछा गया कि वे नीति आयोग की बैठक में शामिल क्यों नहीं हुए, तो उन्होंने कहा कि उसका कोई मतलब नहीं है. हम जाते तो फिर से बिहार को विशेष राज्य का दर्जा की मांग करते. बिहार को केंद्र से जो मदद मिलनी चाहिए वो नहीं मिल रही है. अगर मदद मिलती तो बिहार काफी आगे बढ़ जाता.