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Gopalganj News : कैदी के पेट में फंसा था मोबाइल, डॉक्टरों ने मुंह से निकाला

गोपालगंज जेल में एक कैदी मोबाइल निगल गया. दरअसल, जेल में छापा पड़ रहा था और उसी दौरान वह मोबाइल पर बात कर रहा था. हड़बड़ी में उसने मोबाइल निगल लिया. इसके बाद उसकी हालत बिगड़ने लगी. तब उसे आईजीआईएमएस लाया गया. यहां बिना सर्जरी के उसके पेट से मोबाइल निकाला (Mobile take out from abdomen without surgery) गया. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Feb 23, 2023, 8:18 PM IST

Updated : Feb 23, 2023, 9:26 PM IST

पटना: बिहार की राजधानी पटना के इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज यानी आईजीआईएमएसमें एक जटिल प्रक्रिया को बड़ी ही सरलता से पूरा कर मरीज की जान (Mobile take out from abdomen in IGIMS) बचाई गई. दरअसल, गोपालगंज की जेल में 17 फरवरी को जेल पुलिस का छापा पड़ा. इस दौरान डर से 30 वर्षीय कैदी कौशर ने मोबाइल फोन निगल लिया. जेल में जब छापा पड़ा उस समय वह मोबाइल फोन पर बात कर रहा था और पुलिस को देखते ही मोबाइल फोन निगल लिया. कौशर अपने घर पर बात करने के लिए चोरी छुपे एक बहुत छोटा चाइनीज मोबाइल रखता था.

ये भी पढ़ेंः Gopalganj News: गोपालगंज में कैदी ने निगला मोबाइल, स्थिति बिगड़ने के बाद अस्पताल में भर्ती

जेल में छापा के दौरान निगल गया मोबाइलःगोपालगंज की अलीनगर थाना क्षेत्र के इंदरवा गांव का रहने वाला कौशर नशीले पदार्थ की तस्करी के आरोप में बीते 3 वर्षों से जेल में बंद था. मोबाइल निगलने की वजह से कौशर की तबीयत बिगड़ने लगी थी. इसके बाद पुलिस कैदी कौशर को लेकर आईजीआईएमएस पहुंची. एक्स-रे में पेट के अंदर मोबाइल फोन देखकर डॉक्टर भी हैरान हो गए और मोबाइल कैदी के छाती के नीचे पेट के पास फंस गया था. मोबाइल की लंबाई 3.5 इंच चौड़ाई 2 इंच थी. अस्पताल के चिकित्सक डॉ आशीष झा के नेतृत्व में मेडिकल टीम द्वारा एंडोस्कोपी विधि के माध्यम से कैदी के मुंह से मोबाइल निकाला गया.

अपने आप में अनोखा केस:अस्पताल के डिप्टी डायरेक्टर डॉ महेश मंडल ने बताया कि उनके 25 साल के मेडिकल करियर में यह पहला ऐसा केस था, जब कोई व्यक्ति मोबाइल निगलकर एडमिट हुआ हो. यह एक अजूबा केस था. इसे एंडोस्कोपी मशीन से बिना चीर फाड़ के मोबाइल निकाला गया है. अस्पताल के निदेशक डॉ विनय कुमार ने डॉक्टर आशीष झा के साथ उनकी पूरी टीम को इसके लिए बधाई दी है. कौशर की तबीयत अब पहले से बेहतर है और तबीयत में सुधार हो रहा है.

"मेरे 25 साल के मेडिकल करियर में यह पहला ऐसा केस था, जब कोई व्यक्ति मोबाइल निगलकर एडमिट हुआ हो. यह एक अजूबा केस था. इसे एंडोस्कोपी मशीन से बिना चीर फाड़ के मोबाइल निकाला गया है" - डाॅ महेश मंडल, डिप्टी डायरेक्टर, आईजीआईएमएस

Last Updated : Feb 23, 2023, 9:26 PM IST

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