पटनाःआज माता संतोषी की पुजा है. माता संतोषी का व्रत पूजन करने से धन विवाह संतान आदि भौतिक सुख में वृद्धि होती है, यह व्रत शुक्ल पक्ष के प्रथम शुक्रवार से शुरू किया जाता है. संतोषी माता का व्रत आज शुक्रवार को किया जाएगा. शुक्रवार को सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि करके मंदिर में जाकर या अपने घर पर संतोषी माता का चित्र या मूर्ति रख कर पूजा कर सकते हैं.
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16 शुक्रवार व्रत किए जाने का विधानः आचार्य रामा शंकर दुबे ने बताया कि मां संतोषी का व्रत सुख सौभाग की कामना से माता संतोषी के 16 शुक्रवार व्रत किए जाने का विधान है. सूर्योदय से पहले उठकर घर की सफाई इत्यादि पूर्ण कर लें और स्नान के पश्चात घर में किसी सुंदर व पवित्र जगह पर माता संतोषी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करे. माता संतोषी के सम्मुख एक कलश जल भरकर रखें और कलश के ऊपर एक कटोरा में गुड. चना रखें. और माता के समक्ष एक घी का दीपक जलाएं.
"माता संतोषी व्रत शुक्ल पक्ष के प्रथम शुक्रवार से शुरू किया जाता है. मां संतोषी का व्रत सुख, सौभाग की कामना के लिए रखा जाता है. माता संतोषी के 16 शुक्रवार व्रत किए जाने का विधान है. सूर्योदय से पहले उठकर घर की सफाई इत्यादि पूर्ण कर लें और स्नान के पश्चात घर में किसी सुंदर व पवित्र जगह पर माता संतोषी की प्रतिमा या चित्र स्थापित कर पूजा करें"-रामा शंकर दुबे, आचार्य
ऐसे करें माता संतोषी की पूजाः आचार्य ने बताया कि सबसे पहले माता को अक्षत फूल सुगंधित गंध नारियल लाल वस्त्र या चुनरी अर्पित करें. माता संतोषी को गुड़ और चना का भोग लगाएं. उसके बाद माता का जयकार बोलकर कथा आरंभ करें. संतोषी माता की व्रत कथा को सुनते अथवा सुनाते वक्त सभी लोगों के हाथों में गुड़ और चने हाथ में रखकर कथा सुनना चाहिए और कथा समाप्त होने पर संतोषी माता की जय बोल कर उठे और हाथ में लिए हुए गुड़ और चना गाय को खिलाएं. कलश पर रखे हुए पात्र के गुड़ और चने को प्रसाद के रूप में उपस्थित सभी स्त्री-पुरुष और बच्चों में बांट दें. कलश के जल को घर के कोने कोने में छिड़ककर घर को पवित्र करें और शेष बचे हुए जल को तुलसी के पौधे में डाल दें.
संतोषी माता के व्रत का महत्वः वहीं, आचार्य रामा शंकर दुबे ने संतोषी माता का व्रत का महत्व बताते हुए कहा कि सृष्टि के सभी प्राणियों का कल्याण करने वाले भगवान शंकर के पुत्र श्री गणेश महाराज और माता रिद्धि सिद्धि की पुत्री संतोषी माता विश्व के सभी उपासक स्त्री पुरुषों का कल्याण करती हैं . व्रत करने और कथा सुनने वाले स्त्री पुरुषों को धन समर्पित भंडार भरे, और माता संतोषी धन से आनंदित करती है. व्यवसाय में दिन और रात चौगुना लाभ होता है. विपत्ति नष्ट होती है और मनुष्य चिंता मुक्त होकर जीवन यापन करता है. स्त्रियां सदा सुहागन रहती हैं. निसंतानों को पुत्र की प्राप्ति होती है और जीवन में सभी मनोकामनाएं संतोषी माता के व्रत से पूरी होती है.