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कर्नाटक की घटना पर मांझी ने किया ट्वीट, पूछा- 'चुप क्यों हैं धर्म के ठेकेदार'

जीतन राम मांझी ने कर्नाटक की घटना पर ट्वीट किया है. अपने ट्वीट में मांझी ने लिखा है कि दलित का बच्चा मंदिर में गया तो उसके परिजनों पर जुर्माना लगाया गया. इस मामले पर धर्म के ठेकेदार चुप क्यों हैं.

jitan ram manjhi
जीतन राम मांझी

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Published : Sep 23, 2021, 2:55 PM IST

पटना:बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हम पार्टी के प्रमुख जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) ने कर्नाटक की घटना पर ट्वीट किया है. अपने ट्वीट में मांझी ने कर्नाटक की उस घटना का जिक्र किया है जिसमें एक दलित के बच्चे को मंदिर में प्रवेश (Dalit Entry Ban in Temple) करने पर पीटा गया. इसके बाद उसके अभिभावक पर 23 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया.

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मांझी ने अपने ट्वीट में लिखा, 'ये जो हम कह रहे हैं, बस सदियों का दर्द है. गुस्से का अब-तक हमने इजहार कहां किया. धर्म के राजनैतिक ठेकेदारों की जुबान ऐसे मामलों पर चुप हो जाती है. अब कोई कुछ नहीं बोलेगा. क्योंकि धर्म के ठेकेदारों को पसंद नहीं कि दलित मंदिर में जाएं. दलित धार्मिक काव्यों पर टिप्पणी करें.'

जीतन राम मांझी ने ट्वीट के माध्यम से एक बार फिर बीजेपी के उन नेताओं पर तंज कसा है जिन्होंने भगवान राम और रामायण पर बयानबाजी करने के बाद मांझी पर पलटवार किया था. बता दें कि जीतन राम मांझी ने प्रभु राम के अस्तित्व को काल्पनिक बताते हुए कहा था कि श्रीराम कोई जीवित और महापुरुष थे, ऐसा मैं नहीं मानता हूं. हालांकि रामायण में जो बातें बताई गईं हैं, वो सीखने लायक हैं. महिलाओं की बात हो या फिर अपने से बड़ों के आदर और सम्मान की बात हो, रामायण हमें शिक्षा देती है.

इसपर बीजेपी के विधायक हरि भूषण ठाकुर बचौल ने कहा था कि मांझी हमारे गार्जियन हैं लेकिन जिस तरह का बयान उन्होंने दिया है, वह अच्छी बात नहीं है. उनके माता-पिता ने राम के अस्तित्व को समझकर ही उनके नाम के साथ जीतन राम मांझी लगाया था. जब यह बात मांझी नहीं जानते हैं तो उनका नाम जीतन राक्षस मांझी होना चाहिए था.

बता दें कि कर्नाटक के कोप्पल जिले के मियापुरा गांव में एक दलित लड़के के माता-पिता पर 23000 रुपये का जुर्माना लगाया गया था. जुर्माना लगाने की वजह सिर्फ इतनी थी कि उनका दो साल का बेटा हनुमान मंदिर में भगवान का आशीर्वाद लेने के लिए चला गया. बच्चे को उसके पिता उसके जन्मदिन पर हनुमान मंदिर ले गए थे, लेकिन यहां दलितों को मंदिर के अंदर जाने की अनुमति नहीं है. वे हमेशा बाहर से मंदिर के सामने खड़े होकर प्रार्थना करते हैं.

पिता अपने बेटे के साथ बाहर से भगवान की प्रार्थना कर रहे थे, लेकिन उत्साह में बच्चा भागकर मंदिर के अंदर चला गया और भगवान से प्रार्थना की और वापस आ गया. घटना 4 सितंबर की है, जिसके बाद यह एक बड़ा मुद्दा बन गया और ऊंची जाति के ग्रामीणों ने मंदिर में दलित लड़के के प्रवेश के बाद अपवित्र मान लिया. उन्होंने 11 सितंबर को एक बैठक की और बच्चे के माता-पिता से 23,000 रुपये का जुर्माना भरने को कहा था.

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