चंडीगढ/बिहार: कोरोना वायरस की वजह से देश में 21 दिनों का लॉकडाउन घोषित किया गया है. लोग इससे काफी परेशान दिख रहे हैं. खासकर जो लोग दूसरे प्रदेश में हैं उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है.
लॉकडाउन की वजह से बिहार के 250 मजदूर चंडीगढ़ में फंस गए हैं. मनोज दास, जितेन्द्र पासवान, फिरोज आलम, प्रभु पासवान, राजेश महतो, सुमेश राम, किशोर राय, अफजल आलम, प्रमोद पासवान, मदन महतो, राजेश दास, उमेश राम, गुड्डू पासवान, भूती पासवान सहित सैकड़ों मजदूर यहां पर फंसे हैं.
'कंपनी बंद है, खाना को तरस रहे'
पश्चिम चंपारण के रहने वाले इन मजदूरों को खाना नसीब नहीं हो रहा है. इस बाबत ईटीवी भारत ने उन मजदूरों से बात की. भूती कुशवाहा ने अपना दर्द साझा करते हुए कहा कि 'यहां पर हमलोग लगभग 300 लोग काम कर रहे थे. पीएम मोदी द्वारा लॉकडाउन की घोषणा के बाद हमारी कंपनी को बंद कर दिया गया. हमलोगों के पास तीन-चार सौ रुपये थे. वह खत्म हो गया है. हमलोग खाना नहीं खा पा रहे हैं. सरकार से अनुरोध करते हैं कि वह हमलोगों को खाना मुहैया करवाए. यहां के हालात ठीक नहीं है.'
'कुछ उपाय करे सरकार, मर रहे हैं'
बेतिया के रहने वाले मनोज दास ने कहा कि 'वह फिलहाल मोहाली जिले के चंडीगढ़ रोड में रह रहे हैं. बाहर निकलते हैं तो पुलिसवाले मारते हैं. घर में राशन नहीं है. 3 दिनों से खाना नहीं मिला है. नीतीश सरकार हमारे लिए कुछ उपाय करे, चाहे खाना मुहैया करवाए या फिर यहां से बिहार ले जाने का कोई रास्ता निकाले. हमलोग यहां पर मरना नहीं चाहते हैं.'
'लगातार बज रही हैं घंटियां'
बता दें कि, लाखों की संख्या में बिहार से अन्य राज्यों में काम करने गए लोग वहीं फंसे हुए हैं. मुख्यमंत्री आवास से लेकर कई विभागों में फोन की घंटियां बज रही हैं. ज्यादातर लोगों की शिकायत है कि उन्हें खाने के लिए किसी तरह की सुविधा नहीं मिल पा रही है. इसको लेकर सरकार ने लोगों की मदद के लिए एक कमेटी का गठन किया है.