पटना:राज्य में तकरीबन 2 लाख 90 हजार पदों के लिए पंचायत चुनाव होना है. राज्य सरकार इस बार चुनाव ईवीएम के माध्यम से कराना चाहती है. इसके लिए राज्य सरकार ने सहमति दे दी है. साथ ही पंचायती राज विभाग द्वारा तकरीबन 120 करोड़ रुपए ईवीएम खरीद के लिए भी आवंटित कर दिया है. लेकिन भारत निर्वाचन आयोग से अनुमति नहीं मिलने के कारण मामला लटक गया है. इसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग हाईकोर्ट के शरण में है. अब कोर्ट ने साफ कर दिया है कि इस मामले को दोनों पक्ष सहमति से सुलझाए.
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दस मार्च को आएगा फैसला
पहली सुनवाई में हाईकोर्ट ने राज्य निर्वाचन आयोग और भारत निर्वाचन आयोग को इस विवाद को आपसी सहमति से निपटाने का निर्देश दिया है. अगर आपसी सहमति से कोई निर्णय नहीं होता है, तो 10 मार्च को हाई कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी. राज्य निर्वाचन आयोग हाईकोर्ट के निर्देश के बाद एक बार फिर से भारत निर्वाचन आयोग को ईवीएम से मतदान कराने की अनुमति को लेकर पत्र लिख रहा है.
ईवीएम की मिलेगी अनुमति
पत्र में राज्य निर्वाचन आयोग उन सभी सवालों का जवाब देगा, जिसके कारण भारत निर्वाचन आयोग द्वारा बिहार में पंचायत चुनाव ईवीएम से कराने पर सहमत नहीं है. वहीं अगर ईवीएम से चुनाव नहीं होते हैं तो, राज्य निर्वाचन आयोग किस तरह से पंचायत चुनाव कराएगी ? इस सवाल पर आयोग के अधिकारी कहते हैं, कि वे पूरी तरह से आश्वस्त हैं कि उन्हें ईवीएम से चुनाव कराने की अनुमति मिलेगी.
क्या है विवाद
भारत निर्वाचन आयोग का मानना है कि राज्य निर्वाचन आयोग के द्वारा जो मशीन इस्तेमाल किए जाने की बात कही जा रही है. उसमें अलग से एसडीएमएम लगाने की बात है. जिस पर आयोग को आपत्ति है. दरसअल ईवीएम मशीन में एसडीएमएम (सिक्योर डिटैचेबल मेमोरी मॉड्यूल ) डिवाइस होगा. जिसमें तमाम वोटिंग की संख्या जमा होगी. इसके बाद इस डिवाइस को कंट्रोल यूनिट से निकालकर स्ट्रांग रूम में जमा कर दिया जाएगा. गिनती के वक्त ईवीएम मशीन को जोड़ वोटों की गिनती की जाएगी.