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सिर्फ त्यौहार पर याद आती है गंगा की सफाई, बाकी दिन लगा रहता है कचरों का अंबार

राजधानी में जब भी कोई त्यौहार आता है तो गंगा को स्वच्छ करने के लिए काम शुरू कर दिया जाता है. लेकिन जब यह खत्म होता है तो गंगा की स्वच्छता और सफाई को कोई देखने वाला नहीं होता है.

ganga water
ganga water is getting black

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Published : Nov 28, 2019, 8:00 AM IST

पटना:प्रदेश में गंगा के सभी घाटों का पानी नाले के पानी के कारण गंदा होने लगा है. हालात ये हैं कि अब गंगा किनारे का पानी काले रंग में तब्दील हो रहा है. इसको लेकर प्रशासन से लेकर आम लोग तक चुप हैं.

अधर में गंगा स्वच्छ अभियान
राजधानी में जब भी कोई त्यौहार आता है तो गंगा को स्वच्छ करने के लिए काम शुरू कर दिया जाता है. लेकिन जब यह खत्म होता है तो गंगा की स्वच्छता और सफाई को कोई देखने वाला नहीं होता है. गंगा स्वच्छ और अविरल हो, यह भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी देशवासियों से कहा था. गंगा की पवित्रता और उसे स्वच्छ बनाने के लिये सरकार की कई योजनाएं चल रही हैं. इसके लिए करोड़ो रूपये खर्च भी किये जा रहे हैं. उसके बावजूद गंगा प्रतिदिन मैली होती जा रही है. इसकी पवित्रता नष्ट हो रही है.

पर्व पर याद आ जाती है गंगा की सफाई व्यवस्था

पर्व में करोड़ो रुपये खर्च होते हैं सफाई पर
राजधानी का सबसे प्रसिद्ध घाट जो गायघाट के नाम से जाना जाता है, उसकी हालत सभी घाटों से खराब है. लोकआस्था का महापर्व छठपूजा के मौके पर सभी राजनीति पार्टिया, जिला प्रशासन, समाजिक संगठन और आम जनता गंगा की सफाई में जुटे थे. इस सफाई अभियान में करोड़ो रूपये भी सरकार ने खर्च किये.

नाले की पानी गंगा में प्रवाहित होते हुए

प्रशासन समेत जनता है गैरजिम्मेदार
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार वोट के माध्यम से छठव्रतियों को अपना अभिवादन देकर इसी घाट से अंतिम यात्रा कर घर लौटते हैं. यहीं लाखों श्रद्धालु गंगा में आस्था की डुबकी लगाकर अपने आप को धन्य मानते है लेकिन छठपूजा खत्म होते ही गंगा घाटों पर गंदगी का अंबार लगा है.

गंगा किनारे कचरों का ढेर

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अगली पीढ़ी को क्या देंगे हम
राजधानी की सभी गंदगी गंगा में प्रवाहित होती है. लोग गंगा को मैली कर उनकी अविरलता को समाप्त कर रहे हैं. जिसका तमासा सरकार, प्रसाशन और हमलोग सभी देख रहे हैं. आज पर्यावरण को प्रदूषित करने का खमियाजा हर इंसान भुगत रहा है. लोग जहरीली हवा से निजात तक नहीं पा रहे हैं. अगर गंगा की अविरलता को हम इंसान ना बचा पाये तो आनेवाली पीढ़ी को हम क्या दे पायेंगे.

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