पटना: विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के दर्जनभर मंत्री चुनाव हार गए और अब वह पूर्व मंत्री के श्रेणी में आ चुके हैं. लेकिन नेताओं ने अभी हिम्मत नहीं हारी है और वह विधान परिषद के रास्ते कैबिनेट में शामिल होने की कोशिश में है. वहीं नीतीश कुमार ने अब तक हारे हुए नेताओं पर बाजी नहीं लगाई है.
जदयू नेता और पूर्व मंत्री जय कुमार सिंह पूर्व मंत्री संतोष निराला, पूर्व मंत्री कृष्ण नंदन वर्मा विधान परिषद की टिकट पाने के लिए जोर आजमाइश कर रहे हैं. वहीं और नेताओं के यहां दौड़ भी लगा रहे हैं. पूर्व मंत्रियों के अलावा पूर्व विधायक भी विधान परिषद की टिकट हासिल करना चाहते हैं. राजद से जदयू में शामिल हुए चंद्रिका राय भी विधान परिषद की टिकट चाहते हैं.
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हारे हुए नेताओं को मिला है मौका
भाजपा कोटे से पूर्व नगर विकास मंत्री सुरेश शर्मा और पूर्व विधायक और पार्टी के उपाध्यक्ष मिथिलेश तिवारी भी विधान परिषद पहुंचना चाहते हैं. चुनाव में हारे हुए नेताओं को भाजपा और जदयू विधान परिषद भेजने से परहेज तो करती है लेकिन इसके अपवाद भी हैं. 2005 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रामाश्रय सिंह को चुनाव हारने के बाद मंत्रिमंडल में शपथ दिलाई और विधान परिषद भी भेजा. भाजपा की ओर से भी विनोद नारायण झा चुनाव हारे थे लेकिन उन्हें विधान परिषद भेजा गया, बाद में मंत्रिमंडल में भी उन्हें जगह मिली.
नीतीश हारे हुए नेताओं पर नहीं लगाएं दांव
'चुनाव में हार जीत होती रहती है. पार्टी तय करती है कि किस नेता की उपयोगिता किस सदन में है और किसे कहां भेजा जाए नेतृत्व इस पर फैसला लेती है.' - अभिषेक झा, प्रवक्ता, जदयू
पार्लियामेंट्री बोर्ड करती है फैसला
'दल से कुछ नेता जरूर चुनाव हारे हैं लेकिन कौन विधान परिषद जाएगा इस पर फैसला प्रदेश नेतृत्व लेती है. हमारे दल में इन सब चीजों पर अंतिम फैसला पार्लियामेंट्री बोर्ड करती है और उचित समय पर परिस्थितियों को देखते हुए फैसला लिया जाएगा.' - प्रेम रंजन पटेल, प्रवक्ता, भाजपा
हारे हुए नेताओं पर नीतीश ने नहीं लगाया है दाव!
'जो पूर्व मंत्री या पूर्व विधायक चुनाव आ रहे हैं निश्चित तौर पर वह विधान परिषद के लिए जोर आजमाइश कर रहे हैं. अब तक नीतीश कुमार ने हारे हुए नेताओं पर दाव नहीं लगाया है लेकिन इस बार परिस्थितियां अलग है. संभव है कि नीतीश कुमार हारे हुए नेताओं को भी तवज्जो दें.' - डॉ. संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक