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रोक के बावजूद खेतों में पराली जला रहे किसान, दूषित हो रही आबोहवा

मसौढ़ी में दिन प्रतिदिन पराली प्रबंधन एक बड़ी समस्या बनती जा रही है. खेत में पराली जलाने पर रोक (Ban on Burning Stubble in Field) के बावजूद किसान लगातार पराली को जला रहे हैं. जिससे वायु प्रदूषण के साथ ही मिट्टी की उर्वरा शक्ति नष्ट हो रही है.

Farmers burning stubble in fields
खेतों में पराली जला रहे किसान

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Published : Dec 2, 2021, 5:18 PM IST

पटना (मसौढ़ी): वायु प्रदूषण का खतरा (Danger of Air Pollution in Masaudhi) शहरों के बाद ग्रामीण इलाकों में मंडरा रहा है. पर्यावरण को शुद्ध रखने के मद्देनजर सरकार जागरुकता के तमाम कार्यक्रम चला रही है. इसके बावजूद राजधानी पटना से सटे मसौढ़ी में किसान खेतों में पराली जला रहे (Farmers Burning Stubble in Masaudhi) हैं. जिससे लगातार वायु प्रदूषण बढ़ रहा है. जबकि प्रशासन ने पराली जलाने के लिए रोक लगायी है. ऐसे में अब मसौढ़ी में आबोहवा दूषित हो रही है.

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बता दें कि खेतों में पराली जलाने से न केवल मिट्टी की उर्वरा शक्ति खत्म होती है बल्कि वायु प्रदूषण का भी खतरा बढ़ जाता है. बड़े-बड़े शहरों में लगातार वायु प्रदूषण का खतरा बढ़ रहा है और लोगों को सांस लेने में दिक्कतें होने लगी है. ऐसे में पटना के ग्रामीण इलाकों में लगातार खेतों में पराली जलाई जा रही है. रोक के बावजूद किसान मानने को तैयार नहीं हैं.

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मसौढ़ी प्रखंड के विभिन्न गांवों में किसान लगातार पराली जला रहे हैं. मसौढ़ी में वायु प्रदूषण का खतरा मंडराने लगा है. हालांकि कृषि विभाग किसान सलाहकार के माध्यम से जागरूकता कार्यक्रम चलाकर किसानों को पराली प्रबंधन करने और खेतों में पराली को नष्ट करने के लिए बाजारों उपलब्ध दवाओं के बारे में बता रहा है. जिससे केमिकल का छिड़काव कर पराली को आसानी से नष्ट किया जा सके.

'खेतों में पराली नहीं जलाने को लेकर कृषि विभाग प्रयास कर रहा है. सभी पंचायतों में किसान सलाहकार के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है. एक टीम बनाकर पराली जलाने वालों के खिलाफ कार्यवाई की जा रही है.' -मोहम्मद शकील अहमद, कृषि पदाधिकारी

"पराली प्रबंधन एक बड़ी समस्या बनती जा रही है. लगातार किसानों के बीच जागरूक कार्यक्रम चलाया जा रहा है. पराली प्रबंधन के लिए बाजारों में कई तरह की दवाएं उपलब्ध हैं. जिसके छिड़काव से पराली को आसानी से नष्ट किया जा सकता है. अगर इसे समय से नहीं रोका गया तो खेतों की मिट्टी की गुणवत्ता खत्म हो जाएगी. -मृणाल वर्मा, कृषि वैज्ञानिक

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