पटना:बड़ा राज्य होने के बावजूद बिहार में कम संसधान के चलते कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए सरकार ने बेहतरीन काम किया है. बिहार में अन्य बड़े राज्यों की अपेक्षा कोरोना के मामले कम हैं. बिहार सरकार के नौकरशाहों पर लगते आरोपों के बीच उन्होंने इतना बेहतरीन काम करते हुए कोरोना की रोकथाम के लिए क्या कुछ कदम उठाए. इसको लेकर ईटीवी भारत बिहार के ब्यूरो चीफ प्रवीण बागी ने बिहार सरकार के मुख्य सचिव दीपक कुमार से बात की.
मुख्य सचिव दीपक कुमार ने बताया कि कोरोना महामारी की फैलने की संभावना बाहरी लोगों से ज्यादा रहती है. बिहार में बाहर से दो चरणों में लोग आए हैं. पहले चरण में विदेशी लोग थे, तो दूसरे चरण में देश के अन्य राज्यों के लोग. दीपक कुमार ने कहा कि पहले फेज में हमने घर-घर जाकर ऐसे लोगों की जानकारी जुटाई, जो विदेशों से आए थे. उन्हें क्वारंटीन किया. इस तरह विदेशों से आने वाले कोरोना वायरस से हम जीते.
दूसरे फेज में स्क्रीनिंग जबरदस्त
मुख्य सचिव ने बताया कि दूसरे फेज में अन्य राज्यों से लगभग 20 से 30 लाख लोग आए. यह हमारे लिए चैलेंजिंग था. इसको लेकर हम अलर्ट रहे. इसको दो तरह से हैंडल किया. उन्होंने कहा कि जिन राज्यों में बीमारी ज्यादा फैली थी. वहां से आ रहे लोगों को हमने क्वारंटीन करने का फैसला लिया. यह टफ टास्क था. ऐसे में कोरोना वायरस को लेकर कर्मचारी भी डरे हुए थे. लेकिन हमने इसे पूरा किया. अब लोगों का क्वारंटीन पीरियड खत्म हो गया है.
नीचे जाएगा कोरोना का ग्राफ- दीपक कुमार
मुख्य सचिव ने कहा कि अब बिहार में कोरोना का ग्राफ नीचे जाएगा. गांव की बात करें, तो ग्रामीण बेहद जागरूक हैं. कोरोना को लेकर सतर्क है. उन्होंने कहा कि 20 लाख लोगों को क्वारंटीन करना बहुत बड़ा चैलेंज था. जिनके लिए हम सेवा कर रहे थे. वो लोग क्वारंटीन सेंटर में आने को मना कर रहे थे. हम चाहे कितनी भी अच्छी व्यवस्था कर रहे हो. लोग डरवश मना कर रहे थे. फिर भी हमने लोगों की प्रॉपर जांच करवायी.
कोरोना सेंटर से मिल रही शिकायतों का क्या?
ब्यूरो चीफ प्रवीण बागी ने जब मुख्य सचिव से कहा कि बिहार के कई क्वारंटीन सेंटर से शिकायतें मिली. क्या वहां भ्रष्टाचार हुआ? इस बाबत, मुख्य सचिव ने कहा कि कुछ जगह से शिकायतें मिली हैं. लेकिन हमारी व्यवस्था इतनी पारदर्शी है कि करप्शन का सवाल ही नहीं उठता. उन्होंने कहा कि सभी क्वारंटीन सेंटर पर सीसीटीवी कैमरे लगे थे. टॉयलेट की व्यवस्था थी. खाने-पीने के लिए अच्छा खाना दिया जा रहा था. दीपक कुमार ने कहा कि दिक्कते थीं. कुछ जगह से गलत शिकायतें भी आईं.
रोजगार देने के लिए क्या है ब्लू प्रिंट?
इस सवाल के जवाब में मुख्य सचिव ने कहा कि जो लोग बाहर से आ रहे हैं. उनमें से बहुत से स्किल्ड हैं और बहुत अनस्किल्ड. उसी हिसाब से उन्हें रोजगार मिलेगा. औद्योगिकरण में तेजी ला रहे हैं. इसके लिए पॉलिसी में बदलाव हो रहा है. ऐसे में हम लोगों का ब्लू प्रिंट तैयार है. हम नहीं चाहते कि लोगों को मजबूरन बाहर जाना पड़े. इसके चलते इंडस्ट्री को बढ़ावा मिलेगा. बिहार के लोगों को रोजगार मिलेगा. चाहे वो मनरेगा के तहत हो या वो इंडस्ट्री के तहत हो.
क्या नौकरशाहों की वजह से नहीं हुआ बिहार का विकास?
इसपर मुख्य सचिव ने कहा कि बिहार का बहुत बदलाव हुआ है. ऐसा नहीं है कि बिहार में विकास नहीं हुआ. आज से 10 से 15 साल पहले जब हम गांव में विजिट करते थे, तो बहुत शिकायतें मिलती थीं. अब ये शिकायतें नहीं मिल रही हैं. लोग काम गिनाते हैं. लोग ये नहीं कहते कि काम नहीं होते. लोग ये कहते हैं कि ये पाइप, जो लगा है ये खराब है. तो इसे पॉजिटिव लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि चीजें लगती हैं और खराब होती हैं. इसका मतलब ये नहीं कि काम नहीं हुआ.
कृषि आधारित उद्योगों पर सरकार क्या कदम उठा रही है?
प्रवीण बागी के इस सवाल पर मुख्य सचिव ने कहा कि लीची, मखाना, आम, शहद आदि के पोस्ट हार्वेस्ट का काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा इसपर जो लोग उद्योग लगाना चाहेंगे. उन्हें हम प्रदेश में जमीन भी देंगे और पूरी मदद करेंगे. फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाई जा रही हैं.