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निचली अदालतों में वकीलों के बैठने की व्यस्था नहीं, सुनवाई के दौरान HC ने विधि सचिव को किया तलब

बिहार की निचली अदालतों में वकीलों के बैठने की बुनियादी व्यवस्था उपलब्ध नहीं होने के मामले में पटना हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. बिहार बार राज्य काउंसिल के अध्यक्ष (Bihar State Bar Council President) रमाकांत शर्मा ने जनहित याचिका दायर की थी जिसपर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने विधि सचिव को तलब किया है.

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Published : Dec 13, 2022, 10:46 PM IST

पटना : हाईकोर्ट(Patna High Court ) ने राज्य की निचली अदालतों में वकीलों के बैठने और कार्य करने की व्यवस्था और बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने के मामले में सुनवाई हुई. वरीय अधिवक्ता रमाकांत शर्मा की जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ (Bench of Chief Justice Sanjay Karol) ने सुनवाई करते हुए राज्य के विधि सचिव को विभिन्न जिलों के ज़िला जजों, डीएम व बार के प्रतिनिधियों के साथ बैठक करने का निर्देश दिया.


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पटना हाईकोर्ट ने उन्हें इस बैठक के सम्बन्ध में भूमि उपलब्धता के सन्दर्भ में अगली सुनवाई में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया. याचिकाकर्ता बिहार राज्य बार काउंसिल के अध्यक्ष रमाकांत शर्मा ने कोर्ट को बताया कि राज्य के अदालतों की स्थिति अच्छी नहीं है. वरीय अधिवक्ता शर्मा ने कोर्ट को बताया कि राज्य में लगभग एक लाख से भी अधिवक्ता अदालतों में कार्य करते हैं. लेकिन उनके लिए न तो बैठने की पर्याप्त व्यवस्था है और न ही कार्य करने की सुविधाएं उपलब्ध हैं. भवन की भी काफी कमी है. बुनियादी सुविधाओं का काफी अभाव है.

उन्होंने कोर्ट को बताया गया कि वकीलों को बुनियादी सुविधाओं का काफी अभाव है. शुद्ध पेय जल, शौचालय और अन्य बुनियादी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं होती है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि अदालतों के भवन के लिए जहां भूमि उपलब्ध भी है, वहां भूमि को स्थानांतरित नहीं किया गया है. जहां भूमि उपलब्ध करा दिया गया है, वहां कार्य नहीं प्रारम्भ नहीं हो पाया है.

कोर्ट ने इस मुद्दे पर गंभीर रुख अपनाते हुए राज्य के विधि सचिव को तलब किया. उन्होंंने कोर्ट को बताया कि इस सम्बन्ध में कार्रवाई की जा रही है. कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा धनराशि उपलब्ध कराई गई है, किंतु अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है. कोर्ट ने भूमि उपलब्धता के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी देने का निर्देश राज्य सरकार को दिया. कोर्ट ने कहा कि उपलब्ध धनराशि का उपयोग नहीं होगा, तो अगले वित्तीय वर्ष में ये धनराशि उपलब्ध नहीं हो पाएगी. इस मामले पर अगली सुनवाई 15 दिसंबर 2022 को की जाएगी.

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