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CAG Report: बिहार को कई करोड़ का घाटा, अधूरा रह गया जिलों का सर्वेक्षण

कैग के अकाउंटेंट जनरल रामअवतार शर्मा (Accountant General Ram Avtar Sharma) ने साफ शब्दों में कहा कि जिले में समय से सर्वेक्षण नहीं हो पाने के कारण सरकार को घाटा लगा है. साथ ही राज्य की खनन रणनीति और ई-चालान को लेकर अनियमितता के कारण ज्यादा हानि हुई है. पढ़ें पूरी खबर..

कैग की रिपोर्ट में बिहार को कई करोड़ का घाटा
कैग की रिपोर्ट में बिहार को कई करोड़ का घाटा

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Published : Dec 16, 2022, 7:49 PM IST

कैग की रिपोर्ट में बिहार को कई करोड़ का घाटा

पटनाः बिहार का कैग रिपोर्ट(CAG report) शुक्रवार को जारी किया गया. इसमें बिहार को कई करोड़ रुपये का घाटा (Bihar lost several crores in the CAG report ) दिखाया गया है. जिलों का सर्वेक्षण अधूरा रह जाने की वजह से बिहार को घाटा हुआ है. भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के अकाउंटेंट जनरल रामअवतार शर्मा ने कहा कि बिहार सरकार के विभिन्न जिलों में समय रहते अगर ऑडिट हो जाता तो बिहार सरकार को आज इतने राजस्व का नुकसान नहीं होता.

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विधानमंडल में प्रस्तुत की गई रिपोर्टः भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर रिपोर्ट जारी की.कैग रिपोर्ट 16 दिसंबर 2022 को बिहार विधानमंडल में प्रस्तुत किया गया. इसमें खान एवं भूतत्व विभाग के उदासीन रवैया के कारण जिला सर्वेक्षण प्रतिवेदन अधूरा रह गया. विभाग ने 2020-24 के बालू घाट के बंदोबस्त की प्रक्रिया अनिवार्य जिला सर्वेक्षण प्रतिवेदन को पूरा किए बिना शुरू की. अगर न्यायालय के कहे अनुसार विभाग ने पूर्व में जिला सर्वेक्षण प्रतिवेदन तैयार किया होता और नए बंदोबस्ती का निष्पादन कर लिया गया होता तो विभाग को राजस्व की प्राप्ति होती है.

भागलपुर में पट्टे रद्द करने से हुआ नुकसानः रिपोर्ट के अनुसार भागलपुर में जिला समाहर्ता के द्वारा नौ बालू घाटों के पट्टे रद्द कर दिए गए और प्रतिभूति जमा 1.76 करोड़ वापस कर दिया गया, जो बिहार बालू खनन नीति 2013 के प्रावधानों के विरुद्ध थी. दूसरी सबसे अधिक बोली लगाने वाले को पट्टा की पेशकश नहीं की गई थी. इसके परिणाम स्वरूप विभाग को 18.63 करोड़ के राजस्व का नुकसान हुआ था. अवैध खनिजों के परिवहन में संलिप्त वाहनों के संदर्भ में जिला परिवहन कार्यालय और जिला खनन कार्यालय के बीच समन्वय नहीं होने के कारण 4.20 करोड़ के राजस्व की हानि हुई थी. क्योंकि इन वाहनों के दस्तावेज संबंधित जिला खनन कार्यालय को हस्तांतरित नहीं किए गए थे.

ई-चालान में अनियमितता से घाटाःअकाउंटेंट जनरल रामअवतार शर्मा ने परिवहन विभाग के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के माध्यम से ई-चालान के द्वारा वसूली और संग्रहण पर चर्चा करते हुए कहा कि रिपोर्ट में वाहन सारथी सॉफ्टवेयर का डेटा विश्लेषण शामिल है. इसमें हैंडहेल्ड डिवाइस द्वारा ई- चलान के माध्यम से 6.27 करोड़ सरकारी खाते में प्रेषित नहीं किए गए. खाता रोकर बही का रखरखाव नहीं करने के कारण सरकारी खाते में 7.03 करोड़ का सत्यापन नहीं किया जा सका. 3061 चालान अनियमित रूप से संशोधित किए गए और 1.97 करोड़ का भुगतान नहीं किए जाने पर जुर्माने में 90.96 की कमी की गई.

वाहन मालिकों ने दिया 24 करोड़ का चालानःउन्होंने कहा कि वाहन मालिक को चालकों के द्वारा 24.17 करोड़ के 71,274 ई-चलान निर्गत किए गए. परंतु न तो उनके विरुद्ध कार्रवाई की गई और न ही वाहन या दस्तावेजों की जब्ती के लिए कोई प्रयास किया गया. वसूली गई कुल राशि का केवल 11.86 प्रतिशत ही 8 जिलों में नामित बैंक को डिजिटल रूप से हस्तांतरित किया गया. वहीं अकाउंटेंट जनरल ने पीएम किसान योजना को लेकर के कहा कि कृषि विभाग के पास योजना के संभावित लाभार्थियों की कोई मौजूदा सूची नहीं होने से 71,45,065 लाभार्थी 3,443,55 करोड़ से वंचित रहे.

"जिलों का सर्वेक्षण समय से कर लिया जाता तो सरकार को राजस्व का नुकसान नहीं होता. वहीं ई-चलान के खेल से भी नुकसान हुआ है. एक ही वाहन से कई सारे चालान जेनरेट करते दिखे हैं. एक वाहन के लिए एक दिन में करीब 142 बार फेरा लगाया गया है. कई सारे फर्जी चलान का भी पता चला है. इससे काफी राजस्व का नुकसान हुआ है. खनन रणनीति का सत्यापन ठीक तरीके से नहीं हुआ"- रामअवतार शर्मा, भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक अकाउंटेंट जनरल

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