पटना:कोरोना महामारी (corona pandemic) और लॉकडाउन के बीच लाखों की संख्या में जब मजदूर बिहार लौट रहे थे तब सरकार ने दावा किया था कि मजदूरों को यहीं रोजगार मुहैया कराया जाएगा. राज्य सरकार का यह दावा फेल साबित हो रहा है. कोरोना का संक्रमण घटने के बाद एक बार फिर से मजदूरों का पलायन (migration) शुरू हो गया है.
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पटना जंक्शन पर ईटीवी भारत की टीम ने कई मजदूरों से बात की. उन्होंने बताया कि सरकार अपना वादा पूरा करने में नाकाम साबित हुई है. इसके कारण हमलोग कमाने के लिए बाहर जा रहे हैं. कई मजदूरों ने बताया कि कोरोना महामारी के कारण वे घर लौटे थे. अब आर्थिक स्थिति बिगड़ गई है. परिवार चालने में काफी परेशानी हो रही है.
मजदूरी करने जा रहा हूं गुजरात
सुपौल के बबलू कुमार ने कहा "गुजरात से मैं कोरोना महामारी के कारण लौटा था. नीतीश सरकार ने रोजगार मुहैया नहीं कराया. मैं फिर से गुजरात लौट रहा हूं. वहां मजदूरी करता हूं. 10-12 हजार महीना कमा लेता हूं. इससे परिवार को आर्थिक सहयोग मिल जाता है. सरकार यहीं पर रोजगार मुहैया करा देती तो हमलोग बाहर क्यों जाते? कोई नहीं चाहता कि अपना घर छोड़कर बाहर जाकर काम करें."
पटना जंक्शन पर ट्रेन का इंतजार करते पलायन कर रहे मजदूर. नहीं मिल रहा था काम
सुपौल के सुरेश ने कहा "मैं मद्रास जा रहा हूं. वहां मिस्त्री का काम करता हूं. बिहार में रोजगार बहुत कम है. यहां रहकर परिवार चलाना मुश्किल हो गया था. प्रतिदिन काम नहीं मिल पा रहा था. इसके कारण आर्थिक स्थिति चरमरा गई थी. ऐसी स्थिति में मेरे पास दूसरा कोई विकल्प नहीं था.
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