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बाहुबल और धनबल के बावजूद बाहुबलियों को नहीं मिल रहा टिकट, लगा रहे हैं पार्टी दफ्तरों के चक्कर

बिहार की राजनीति में एक वक्त था, जब बाहुबली राजनीति का रुख बदलने की ताकत रखते थे. लेकिन आज ये सभी बाहुबली टिकट के मोहताज दिख रहे हैं.

टिकट की तलाश में बाहुबली

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Published : Mar 6, 2019, 7:30 PM IST

पटना: 2019 लोकसभा चुनाव को लेकर जहां पार्टियां गठबंधन का पेंच सुलझाने में जुटी है. वहीं, विभिन्न पार्टियों के बाहुबली भी अपने नए ठिकाने की तलाश में लग गए हैं. इसके लिए लगातार वो पार्टी दफ्तर और आलाकमानों के दरबार में हाजिरी लगा रहे हैं. कई पार्टियों ने इनके लिए नो एंट्री का बोर्ड लगा दिया है, तो कुछ ने अभी हरी झंडी नहीं दिखाई है.

बिहार में 40 लोकसभा सीट है और तकरीबन एक दर्जन से अधिक बाहुबली नेता चुनावी समर में कूदने के लिए तैयार हैं. जाहिर है ऐसे नेताओं के पास बाहुबल और धनबल की कोई कमी नहीं है. बावजूद इसके खुले हाथों से इन्हें कोई भी स्वीकार करने को तैयार नहीं है. कई पार्टियों में इन नेताओं की बात चल रही है, लेकिन अब तक सीधे तौर पर किसी की बात नहीं बन पायी है.

बाहुबलियों की नहीं हो रही पूछ
एक वक्त था, जब बिहार में बाहुबलियों का राज हुआ करता था. ये लोग जिस पार्टी से चाहते थे, चुनाव लड़कर जीत जाते थे. लेकिन अब उन्हीं बाहुबलियों को चुनावी समर में उतरने के लिए पार्टी दफ्तर और आलाकमान के दरबार में कई बार हाजिरी लगानी पड़ रही है.

कांग्रेस में नया ठिकाना तलाश रहे बाहुबली
तकरीबन आधा दर्जन बाहुबली कांग्रेस के संपर्क में हैं. हालांकि कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा ने कहा है कि इसका निर्णय पार्टी आलाकमान लेगी और अगर जरूरत पड़ी तो टिकट बंटवारे के मसले पर वे अपनी राय पार्टी आलाकमान को जरूर देंगे. बाहुबलियों के नाम पर झा ने कहा कि मुझे नहीं पता कि बाहुबली कौन है? जो भी लोग कांग्रेस और राहुल गांधी में अपनी आस्था व्यक्त कर रहे हैं, उन्हें पार्टी में शामिल कराया जा रहा है. कई ऐसे सांसद और विधायक भी पार्टी के संपर्क में है, जो कई बार से चुनाव जीत रहे हैं.

आरजेडी में बाहुबलियों की नो एंट्री
वहीं, राजद नेता विजय प्रकाश का साफ तौर पर कहना है कि राजद में किसी भी बाहुबली और अपराधी छवि वाले नेताओं की एंट्री नहीं है. उन्होंने कहा कि इसको लेकर तेजस्वी यादव ने कई बार सार्वजनिक रूप से बयान दिया है. आरजेडी नेता का कहना है कि जब से सरकार में नीतीश कुमार आए हैं, तब से बाहुबलियों और अपराधियों का राजनीति में सक्रियता बढ़ गई है.

लोजपा को बाहुबलियों से गुरेज नहीं
इधर, बाहुबलियों के नाम पर लोजपा के प्रदेश अध्यक्ष पशुपति पारस बिल्कुल निश्चिंत हैं. उनका कहना है कि समय आने पर सभी चीजें तय होंगी. बाहुबली को टिकट देने के नाम पर उन्होंने कहा कि जब नॉमिनेशन का वक्त आएगा, तब यह तय किया जाएगा. गौरतलब है कि लोजपा पूर्व में भी बाहुबलियों को टिकट देने में अव्वल रही है.

बाहुबलियों पर अलग-अलग राय

टिकट की तलाश में भटक रहे हैं ये बाहुबली:
1. अनंत सिंह (मोकामा विधायक)

बिहार में बाहुबलियों में सबसे उपर अनंत सिंह का नाम सार्वजनिक है. अनंत सिंह 2015 में जेल में रहते हुये मोकामा से निर्दलीय विधायक बने. वह मुंगेर से कांग्रेस की टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ने का कई बार दावा पेश कर चुके हैं. पिछले दिनों कांग्रेस की जन आकांक्षा रैली में भी उन्होंने जोर शोर से भाग लिया था, लेकिन वह मंच पर दिखाई नहीं दिए थे. अभी तक अनंत सिंह के टिकट को लेकर कांग्रेस ने कोई स्पष्ट बयान नहीं दिया है. वहीं, राजद नेता तेजस्वी यादव ने इनकी एंट्री पर रोक लगा रखी है.

2. पप्पू यादव (मधेपुरा सांसद)
राजीव रंजन उर्फ पप्पू यादव राजद के टिकट से 2014 में मधेपुरा से सांसद बने. चंद महीनों बाद ही उन्होंने आरजेडी से अलग होकर अपनी पार्टी बना ली. 2015 के विधानसभा चुनाव में पप्पू यादव की पार्टी ने कई जगह से अपने उम्मीदवार खड़े किए थे, लेकिन एक भी सीट नहीं जीत पाए. अभी पप्पू यादव ने 2019 के लोकसभा चुनाव में टिकट को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की है. कई बार उन्होंने अपने बयानों में कांग्रेस की टिकट पर पूर्णिया सीट से दावा ठोका है. पप्पू यादव की पत्नी रंजीत रंजन सुपौल से कांग्रेस की सांसद हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस निर्णय कांग्रेस की तरफ से नहीं लिया गया है.

3. रमा किशोर सिंह (वैशाली सांसद)
रामा किशोर सिंह उर्फ रामा सिंह वैशाली से लोजपा के सांसद हैं. रामा सिंह राजद के रघुवंश प्रसाद सिंह को हराकर 2014 में संसद पहुंचे थे. पिछले दिनों टिकट के लिए रामा सिंह भी रांची के रिम्स अस्पताल में लालू दरबार में हाजिरी लगा चुके हैं. जानकारी मिल रही है कि रामा सिंह राजद के टिकट से शिवहर लोकसभा से दावा पेश करना चाह रहे हैं. हालांकि ये देखना होगा कि बाहुबलियों पर नो एंट्री लगाने वाली आरजेडी क्या रामा सिंह को टिकट देती है. क्योंकि लालू यादव कई बार रामा सिंह को हिस्ट्रीशीटर कहते रहे हैं.

4. सरफराज आलम (अररिया सांसद)
सरफराज आलम स्व.मोहम्मद तस्लीमुद्दीन के बेटे हैं. पहले यह जेडीयू से जोकीहाट के विधायक थे. तस्लीमुद्दीन के निधन के बाद राजद के टिकट पर वो अररिया से उपचुनाव जीतकर सांसद बनें. 2019 के लोकसभा चुनाव में भी इनकी दावेदारी प्रबल मानी जा रही है. हालांकि पिछले दिनों सरफराज आलम पर ट्रेन में एक महिला के साथ छेड़खानी करने का आरोप लगा था.

5. साधु यादव (मोतिहारी/गोपालगंज)
लालू यादव के बड़े साले साधु यादव की स्थिति काफी अच्छी नहीं है. कई बार प्रयास करने के बावजूद किसी भी पार्टी से उन्हें टिकट नहीं दिया गया. अगले चुनाव में भी वे निर्दलीय लड़ने की तैयारी में जुटे हैं. हालांकि लालू यादव से अलग होने के बाद वे कांग्रेस में कई दिनों तक रहे बावजूद इसके उन्हें कहीं से भी टिकट नहीं दिया गया. बीच में वह उपेंद्र कुशवाहा के साथ भी जुड़े, लेकिन वहां भी बात नहीं बन पाई. जानकारी है कि वह मोतिहारी या गोपालगंज लोकसभा क्षेत्र से दावा पेश कर सकते हैं.

6. जाकिर हुसैन अनवर (अररिया)
जाकिर अनवर कई बार दल बदल चुके हैं. अभी वर्तमान में वह जेडीयू के सदस्य हैं. 2009 में अररिया से लोजपा के टिकट पर चुनाव भी लड़ चुके हैं. जाकिर अनवर 2019 के लिए भी टिकट का दावा पेश कर रहे हैं. लेकिन अभी तक किसी भी दल द्वारा उन्हें टिकट का आश्वासन नहीं मिला है. अररिया सीट से भाजपा अपना उम्मीदवार उतारती रही है. जिसके कारण जेडीयू से टिकट नहीं मिलना लगभग तय है.

7. राजन तिवारी (बेतिया)
बहुचर्चित विधायक अजीत सरकार हत्याकांड से चर्चा में आने वाले बाहुबली राजन तिवारी भी कई दरबारों में हाजिरी लगाते दिख रहे हैं. तिवारी बेतिया से चुनाव लड़ने का मन बना रखा है. इसके लिए वह राजद, कांग्रेस और कई अन्य दलों के संपर्क में हैं. लेकिन इनको भी अभी तक कोई ठिकाना नहीं मिला है.

8. सुनील पांडे (लोजपा)
सुनील पांडे आरा के तरारी से कई बार विधायक रह चुके हैं. 2015 का विधानसभा चुनाव हारने के बात से ही शाहाबाद क्षेत्र में सक्रियता से लगे हुए हैं. सुनील पांडे आरा क्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़ने का दावा पेश कर रहे हैं. लेकिन अभी तक लोजपा द्वारा इन्हें हरी झंडी नहीं दिखाई गई है.

ये बाहुबली अपने उत्तराधिकारियों के लिए मांग रहे हैं टिकट:

9. वीणा देवी (लोजपा)
मुंगेर सांसद वीणा देवी कई बार लोजपा से मोह भंग वाला बयान देती रही हैं. वीणा देवी बाहुबली सूरजभान सिंह की पत्नी हैं. पिछले दिनों जेडीयू का एनडीए में शामिल होने के बाद यह तय हो गया, कि मुंगेर सीट जदयू के लिए छोड़ना पड़ेगा. इसके बाद से ही सांसद वीणा देवी समय-समय पर टिकट की दावेदारी को लेकर विवादास्पद बयान देते रही हैं. हालांकि सुरजभान सिंह इस पर लोजपा में अपनी पूरी आस्था जताते रहे हैं. देखना दिलचस्प होगा 2019 में सूरजभान अपनी पत्नी के लिए किस पार्टी के कौन से लोकसभा सीट से टिकट ले पाते हैं.

10. लवली आनंद (शिवहर)
लवली आनंद शिवहर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहती है. लवली आनंद बाहुबली आनंद मोहन की पत्नी हैं. आनंद मोहन सहरसा जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं. पिछले दिनों लवली आनंद और उनके बेटे चेतन आनंद ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की है. हालांकि अभी तक लवली आनंद को भी टिकट के लिए कांग्रेस द्वारा सहमति नहीं दी गई है.

11. मुन्ना शुक्ला (जेडीयू)
मुन्ना शुक्ला अपनी पत्नी अनु शुक्ला के लिए मुजफ्फरपुर लोकसभा का दावा पेश कर रहे हैं. हालांकि मुन्ना शुक्ला अभी जेडीयू में सक्रिय सदस्य हैं. लेकिन लोकसभा चुनाव में टिकट मिलना अभी तय नहीं है

12. हीना साहब (सिवान)
शहाबुद्दीन की पत्नी हिना साहब सिवान की प्रबल दावेदार हैं. जो राजद बाहुबली के नाम पर नो एंट्री का बोर्ड लगा रखा है. तेजस्वी यादव ने कई बार पप्पू यादव और अनंत सिंह जैसे बाहुबलियों पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए पार्टी में जगह नहीं देने की बात कही है. वहीं तेजस्वी शहाबुद्दीन और हिना साहब के नाम पर कुछ भी नहीं कहते हैं. देखना दिलचस्प होगा क्या बदलते राजनीति में शहाबुद्दीन की पत्नी हिना साहब को फिर से लोकसभा चुनाव का उम्मीदवार बनाया जाएगा या नहीं. कहा जाता है शहाबुद्दीन का दबदबा सिवान ही नहीं बल्कि पूरे सारण प्रमंडल में है. लालू यादव को भी जीत दिलाने में शहाबुद्दीन की अहम भूमिका रही है.

13. प्रभुनाथ सिंह (महाराजगंज)
बाहुबलियों में प्रभुनाथ सिंह का नाम जगजाहिर है. प्रभुनाथ सिंह समय-समय पर राजद और जेडीयू से चुनाव जीतते रहे हैं. वर्तमान में प्रभुनाथ सिंह जेल में बंद हैं. पिछले दिनों भोजपुरी कलाकार खेसारी लाल यादव लालू यादव से मिलने पहुंचे थे. उसके बाद से राजनीतिक गलियारों में चर्चा थी, कि वह महाराजगंज से चुनाव लड़ सकते हैं. इसके कुछ दिनों बाद ही प्रभुनाथ सिंह के भतीजे और खेसारी लाल यादव के बीच तू-तू, मैं-मैं का एक ऑडियो खूब वायरल हुआ था. माना जा रहा है कि प्रभुनाथ सिंह आगामी चुनाव मैं अपने परिवार के सदस्य के लिए टिकट की मांग कर रहे हैं.

बहरहाल ये बाहुबली किस पार्टी से लोकसभा से चुनाव लड़ेंगे, यह तो वक्त ही बताएगा. लेकिन बिहार की राजनीति में एक वक्त था, जब बाहुबली राजनीति का रुख बदलने की ताकत रखते थे. लेकिन आज ये सभी बाहुबली टिकट के मोहताज दिख रहे हैं. हालांकि लोकतंत्र के लिए ये अच्छे संकेत हैं कि जनता की उपेक्षा के बाद पार्टियां भी ऐेसे नेताओं से कन्नी काट रही हैं.

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