कोटा.उत्तर प्रदेश सरकार ने कोटा से कोचिंग छात्रों को ले जाने की मुहिम शुरू की. उन्होंने बसें भेजी और उसके बाद दूसरे राज्य भी इस मुहिम में जुट गए, जिसमें मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा, आसाम और पंजाब के अलावा राजस्थान के भी अलग-अलग हिस्सों के बच्चे कोटा से वापस लौट गए, लेकिन बिहार के छात्र वापस नहीं लौट सके है.
बिहार, महाराष्ट्र और झारखंड के बच्चों ने ट्विटर पर अभियान चलाया हुआ था. आखिर में इन तीनों राज्यों के सरकार झुकी और राजस्थान सरकार से सहमति बनी कि वे बच्चों को परमिशन जारी कर दे. उनको प्रदेशों में प्रवेश दिया जाएगा. इसको क्वॉरेंटाइन करने की जगह उनको घरों पर स्क्रीनिंग के बाद भेज दिया जाएगा. इसके बाद कोटा जिला प्रशासन ने अनुमति भी देना शुरू कर दिया, लेकिन छात्रों को काफी महंगा पड़ रहा है. पहली समस्या तो आ रही है कि वाहन ही उन्हें नहीं मिल रहे हैं. जाने के लिए इसके अलावा काफी मोटा किराया उनको देना पड़ रहा है. छात्रों की मांग है कि अन्य सरकारों की तरह उनके लिए भी बसें भेजी जाएं.
गूंगी, बहरी हो चुकी है बिहार सरकार
बता दें कि कोटा के कोचिंग संस्थानों में पढ़ रहे यूपी, एमपी, उत्तराखंड, गुजरात के साथ दो यूनियन टेरिटरी के बच्चे अपने गृह जिलों की तरफ लौट गए, लेकिन बिहार सरकार ने अपने बच्चों को ले जाने से मना कर दिया. इसके बाद कोटा में बिहार के बच्चों ने अनशन शुरू कर दिया. इन छात्रों ने कहा कि नीतीश सरकार अंधी, गूंगी, बहरी हो चुकी है. दोहरी नीति अपना रही है. विदेशी छात्रों को तो वापस बिहार बुला लिया गया, लेकिन कोटा में फंसे हुए छात्रों के बारे में नहीं सोच रही. जबकि बिहार के छात्र कोटा में बेहाल हैं.