पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए 2020 कई मायनों में उपलब्धियों भरा रहा तो उन्हें झटका भी देकर जा रहा है. कोरोना काल में हुए विधानसभा चुनाव में जहां एनडीए को उनके नेतृत्व में बहुमत मिली तो वहीं उनकी अपनी पार्टी जदयू तीसरे नंबर पर पहुंच गई. मुख्यमंत्री की कुर्सी किसी तरह जाते-जाते बची.
कई मंत्री हार गए चुनाव
जदयू के कई मंत्री विधानसभा चुनाव हार गए और पार्टी 43 सीटों पर सिमट गई. सीटों की संख्या कम होने के कारण विधानसभा अध्यक्ष पद भी हाथ से निकल गया. सुशील मोदी को बीजेपी ने उपमुख्यमंत्री नहीं बनाया. यह सब नीतीश कुमार के लिए एक बड़ा झटका रहा. हालांकि इसी दौरान नीतीश ने 7वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेकर रिकॉर्ड बनाया. नीतीश कुमार और सुशील मोदी की जोड़ी दो दशक से चर्चा में रही है, लेकिन 2020 के अंत में यह जोड़ी टूट गई. सुशील मोदी राज्यसभा चले गए. अब वह दिल्ली मैं अपनी भूमिका निभाएंगे.
कोरोना काल में विपक्ष के निशाने पर रहे नीतीश
नीतीश कुमार ने कोरोना काल में कई बड़े फैसले किए. वह लॉकडाउन के दौरान लंबे समय तक मुख्यमंत्री आवास से बाहर नहीं निकले, जिसके चलते विपक्ष के निशाने पर रहे. लॉकडाउन के दौरान देशभर से लौटे प्रवासियों के लिए व्यवस्था में कमी और कोटा में पढ़ रहे छात्रों को लाने में आनाकानी के चलते भी विपक्ष को निशाना साधने का मुद्दा मिला. बाद में प्रवासियों को ट्रेन से लाने की विशेष व्यवस्था हुई. उन्हें क्वारैंटाइन भी किया गया. कोरोना काल में स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को बदले जाने के कारण भी खूब चर्चा हुई.
खट्टी-मीठी यादें दे गया चुनाव
विधानसभा चुनाव 2020 नीतीश कुमार को कई खट्टी मीठी यादें दे गया. एक समय ऐसा लग रहा था कि विपक्ष से कोई लड़ाई नहीं है, लेकिन तेजस्वी यादव द्वारा किए गए 10 लाख बेरोजगार युवाओं को सरकारी नौकरी देने के वादे ने पूरा गेम ही बदल दिया था. रही सही कसर लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान की नाराजगी ने पूरी कर दी थी.
लोजपा ने जदयू के सभी उम्मीदवारों के खिलाफ उम्मीदवार उतारा, जिसका खामियाजा नीतीश कुमार को भुगतना पड़ा. एग्जिट पोल में तो नीतीश की सत्ता जाती दिखी. 3 फेज में हुए विधानसभा चुनाव में पहले फेज में जदयू का प्रदर्शन बहुत ही खराब रहा. मगध में तो खाता तक नहीं खुला. शाहाबाद की स्थिति भी बहुत ही दयनीय रही. दूसरे व तीसरे फेज में स्थिति बेहतर हुई, लेकिन लोजपा के कारण पार्टी को बहुत ज्यादा नुकसान का सामना करना पड़ा और जदयू केवल 43 सीट पर सिमट गई.
एनडीए में बीजेपी 74 सीट लेकर सबसे बड़ी पार्टी बनी. कम सीट लाकर भी नीतीश कुमार एक बार फिर से मुख्यमंत्री बनें. हालांकि पिछले 15 साल में पहली बार बीजेपी बिहार एनडीए में बड़े भाई की भूमिका में नजर आ रही है. विधानसभा चुनाव में राजद 75 सीट लाकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई.
सदन में पहली बार दिखा नीतीश का रौद्र रूप
नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही एनडीए की सरकार बनी, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष का पद जदयू को खोना पड़ा. अधिक संख्या बल होने के कारण बीजेपी को अध्यक्ष पद मिल गया. बीजेपी के दो नेता डिप्टी सीएम बने. तेजस्वी न केवल कोरोना के समय बल्कि बाढ़ और फिर चुनाव के दौरान भी नीतीश के लिए मुश्किलें खड़ी करते रहे. तेजस्वी के कारण नीतीश कई बार आपे से बाहर होते नजर आए. विधानसभा सत्र के दौरान सदन के अंदर उनका रौद्र रूप पहली बार दिखा.