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नारी शक्ति का कमाल, कुदाल उठाते ही बंजर भूमि पर लहलहाने लगी फसल

नवादा के सिरदला गांव में महिला शक्ति की अनूठी मिसाल देखने को मिली है. यहां महिलाओं ने खेती कर बंजर भूमि पर फसल उगा दी है, जो आसपास चर्चा का विषय बना हुआ है.

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Published : Jun 21, 2020, 7:08 PM IST

नवादा:21वीं सदी में महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं हैं. आज महिलाएं प्लेन उड़ाने से लेकर देश को चलाने तक का काम कर रही हैं. अगर हम बात करें ग्रामीण क्षेत्रों की तो नवादा के एक छोटे से गांव में महिलाओं ने जो कर दिखाया है उसकी चर्चा आज पूरे जिले भर में हो रही है.

महिलाओं ने बदली बंजर भूमि की तस्वीर

नवादा के सिरदला गांव में महिलाओं ने अपनी मेहनत के बदौलत बंजर भूमि में लहलहाती फसल उगाई है. जिला मुख्यालय से करीब 55 किलोमीटर दूर अतिनक्सल प्रभावित सिरदला प्रखंड अंतर्गत जिरवातर महादलित बस्ती की अन्नदाता महिलाओं ने ये कारनामा कर दिखाया है. उन्होंने अपनी मेहनत और लगन के बल पर बंजर भूमि को उपजाऊ बना दिया.

बंजर भूमि पर लहलहाने लगी फसल

नाबार्ड के सहयोग से कर रहीं काम
रसोई संभालने वाली महिलाएं आज कुदाल उठाकर नाबार्ड के सहयोग से पीएआरडी संस्था के कुशल मार्गदर्शन में फसलें उपजा रही हैं. उनका कहना है कि इन स्थानों पर पहले पैदावार की बात सोचना भी असंभव सा था. लेकिन, अब यहां मूंग, अरहर, गेंहू, भिंडी आदि उपजा कर वे अपने परिवार का गुजर-बसर कर रही हैं.

महिलाओं ने उठाई कुदाल

पानी का कर रही सदुपयोग
नाबार्ड संस्था के सदस्य गायत्री देवी ने उन्हें पानी के सदुपयोग की पूरी जानकारी दी. जिसके बाद से नल से निकलने वाले पानी का सदुपयोग कर वे भिन्न-भिन्न तरह की सब्जियां उपजा रही है. दरअसल, कमाने के लिए पति के बाहर चले जाने के बाद ये महिलाएं घर मे अकेली बैठी रहती थी. उन्हें अनाज के लिए भी दूसरे पर निर्भर होना पड़ता था. लेकिन, पति के अकेले कमाई से परिवार चलना भी मुश्किल पड़ रहा था. जमीन तो थी लेकिन बंजर होने के कारण उसका उपयोग नहीं हो पाता था.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

महिलाओं को किया गया प्रोत्साहित
जल समस्या के कारण बंजर पड़े जमीन पर नाबार्ड की नजर पड़ी तो उन्होंने संस्था के सहयोग से महिलाओं को किसानी के लिए प्रोत्साहित किया. जिसके बाद महिलाओं ने जमकर मेहनत की. किसी ने लोन लेकर बोरिंग की तो किसी ने खुद कुदाल चलाकर बंजर जमीन को उपजाऊ बनाया. अब स्थिति ऐसी है कि जहां दो पैसे और अनाज के लिए इन महिलाओं को दूसरे पर निर्भर रहना पड़ता था. वहीं, महिलाएं अनाज के मामले में आत्मनिर्भर हो चुकी हैं.

मूंग तैयार करती महिलाएं

क्या कहते हैं नाबार्ड अधिकारी?
नाबार्ड के डीडीएम गंगेश कुमार का कहना है कि नाबार्ड हमेशा से ग्रामीण विकास और महिला के उत्थान के कार्य करता रहा है. इस क्रम में सिरदला में भी ग्रामीण महिलाओं को खेती के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, उन्हें ट्रेनिंग दी जा रही है. रही बात पानी की उपलब्धता की तो उसके लिए आहर-नहर की सुविधा की जा रही है ताकि जल की समस्या न हो.

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