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nawada news: नावाडीह गांव में आसमान से गिरा गुब्बारे से बंधा यंत्र, इलाके में दहशत, पढ़िये क्या था

नवादा के रजौली के नावाडीह गांव. यहां आसमान से गुब्बारे से बंधा एक सफेद रंग का यंत्र (Wind detector fell in Nawada) नीचे गिरता है. इलाके में दहशत फैल जाती है. लोग बम होने की आशंका से सहम जाते हैं. इसकी सूचना पुलिस को दी जाती है. पुलिस के आने पर पता चलता है कि यह बम नहीं है. तो क्या था, पढ़ें पूरी खबर.

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Published : Mar 15, 2023, 5:46 PM IST

नवादा में दहशत.

नवादाः बिहार के नवादा जिले के रजौली के लोग बुधवार सुबह बैलून से बंधा (A device tied to a balloon fell in Nawada) रहस्यमयी यंत्र देखकर डर जाते हैं. नावाडीह गांव में लाल रंग के गुब्बारे के साथ आसमान से एक सफेद रंग का यंत्र गिरने से इलाके में दहशत फैल जाती है. यंत्र का आकार कुछ-कुछ बम जैसा था. इसे देखने के लिए आसपास के लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गयी. आसमान से कुछ गिरने की जानकारी रजौली थाना को दी गयी.

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लोगों में दहशतः रजौली पुलिस तत्काल मौके पर पहुंची. पहले तो लोगों को दूर हटाया. उस यंत्र की जांच पड़ताल की गयी. जांच में पता चला कि यह यंत्र मौसम विभाग द्वारा उड़ायी गयी थी. गुब्बारे के फटने के कारण यह यंत्र नीचे खेत में गिर गया. इससे किसी को भी कुछ नुकसान नहीं हुआ. थानाध्यक्ष दरबारी चौधरी ने बताया ने बताया कि बुधवार को नावाडीह गांव में खेत में काम कर रहे किसान को एक सफेद रंग का कुछ सामान पर नजर पड़ी. वह बैलून से बंधा था. देखकर लग रहा था कि आसमान से नीचे गिरा है. यह देखकर लोग दहशत में आ गये. उस यंत्र को थाना प्रभारी अपने साथ लेते गए.

क्या था और कैसे काम करता है यह यंत्रः मौसम वैज्ञानिकों द्वारा छोड़ा हुआ गुब्बारा था. इसमें यंत्र के साथ ट्रांसमीटर लगा रहता है. इससे मौसम की आर्द्रता, दाब, तापमान, वेग एवं हवा की दिशा की जानकारियां मिलती हैं. मौसम का हाल जानने के लिए प्रत्येक दिन सुबह लगभग 5:30 बजे व शाम को लगभग 4:30 बजे हाइड्रोजन व हीलियम गैस भरकर इसे वायुमंडल में छोड़ा जाता है. गैस खत्म होने या फिर बैलून नष्ट होने पर यह यंत्र जमीन पर गिर जाता है.

"मौसम विभाग गया के द्वारा छोड़ा गया गुब्बारा था रजौली में गिरा है. इससे डरने की कोई जरूरत नहीं है. बीस से तीस किलोमीटर हवा की ऊंचाई पर यह गुब्बारा उड़ता है. इस गुब्बारा में हाइड्रोजन गैस भरा हुआ रहता है. बैलून के अंदर स्टूमिन लगा रहता है, जो कंप्यूटर के दिशा-निर्देश से चलता है. हाइड्रोजन गैस कम होने के कारण बैलून फट गया और वह जमीन पर गिर गया"- एसके पटेल, वैज्ञानिक, मौसम विभाग, पटना

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