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हड़ताल पर '102 एम्बुलेंसकर्मी', बकाया वेतन और ठेका प्रथा बंद करने की मांग

आंदोलन कर रहे कर्मियों का कहना है कि पिछले 8 वर्षों से वे लोग 12 घंटे काम कर रहे हैं और 8 घंटे के भी पैसे नहीं मिलते हैं. वेतन से कटौती के नाम पर ईपीएफ, ईएसआईसी का पैसा सरकार और सेवा प्रदाता बंदरबांट कर रहे हैं.

एंबुलेंस कर्मी हड़ताल पर

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Published : Aug 5, 2019, 10:11 PM IST

नालंदा: बिहार में राज्य चिकित्सा कर्मचारी सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए. ये सब 102 एंबुलेंस वाहन कर्मचारी है. एंबुलेंसकर्मियों के हड़ताल पर चले जाने से मरीजों को काफी परेशानी हो रही है. ये कर्मी 2 सूत्रीय मांगों को लेकर लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं.

राज्य चिकित्सा कर्मचारी

आंदोलन पर एंबुलेंसकर्मी
सरकार के खिलाफ एंबुलेंसकर्मियों ने पहले भी आंदोलन किया है. फिर भी इनकी मांगों पर विचार नहीं किया जा रहा है. जिसके कारण इन्होंने सोमवार से दुबारा अपनी मांगों को पूरा करने के लिए आंदोलन शुरू कर दिया. वहीं, बिहार शरीफ के सदर अस्पताल परिसर में एंबुलेंसकर्मियों ने अपनी एंबुलेंस के साथ सरकार के खिलाफ धरना देना शुरू कर दिया. उनका कहना है कि सरकार की ओर से बनाए गए श्रम कानूनों की धज्जियां उड़ाई जा रही है और 102 एंबुलेंसकर्मियों का शोषण किया जा रहा है.

एंबुलेंस वाहन कर्मचारी संघ

5 महीने से नहीं मिलावेतन
आंदोलन कर रहे कर्मियों का कहना है कि पिछले 8 वर्षों से वे लोग 12 घंटे काम कर रहे हैं और 8 घंटे के भी पैसे नहीं मिलते हैं. वेतन से कटौती के नाम पर ईपीएफ, ईएसआईसी का पैसा सरकार और सेवा प्रदाता बंदरबांट कर रहे हैं. इसलिए सेवा प्रदाता कर्मियों का 5 महीने का वेतन और 22 महीने का ईपीएफ-ईएसआईसी पैसा लेकर भाग गए. दूसरे सेवा प्रदाता भी श्रम कानूनों का उल्लंघन कर रहे हैं. आंदोलन कर रहे कर्मियों ने सरकार से ठेका प्रथा को बंद करने की मांग की है.

एंबुलेंस वाहन कर्मचारी

क्या है 2 सूत्रीय मांग

  • 5 माह का वेतन और 22 माह का ईपीएफ-ईएसआईसी पैसा देना
  • ठेका प्रथा को बंद करने की मांग

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